क्रांतिकारी बारहठ केसरीसिंह – अनुक्रमणिका पृष्ठ पर अध्यायों का क्रम दिया गया है। पाठक शीर्षकों पर क्लिक करके अध्यायों तक पहुंच सकते हैं।
बारहठ केसरीसिंह आधुनिक युग में भारत के महान् व्यक्तियों में से गिने जाते हैं। वे महान् साहित्यकार, उत्साही धर्म-सुधारक तथा समर्पित समाज-सुधारक थे। उन्होंने बंगाल के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया। जब अंग्रेजों ने भारत के क्रांतिकारियों को नष्ट कर दिया, तब केसरीसिंह ने गांधी के साथ मिलकर काम करने का प्रयास किया किंतु वे गांधी तथा उनके शिष्यों की ओछी राजनीति से तारतम्य नहीं बैठा सके तथा पुनः राजस्थान आ गए।
अंग्रेजी शासन के दौरान भारत में केवल दो ही ऐसे परिवार थे जिन्होंने अपने लगभग सभी सदस्यों को क्रांति की देवी के लिए समर्पित कर दिया। पहले थे वीर विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें दो बार काले पानी की सजा हुई तथा दूसरे थे बारहठ केसरीसिंह। केसरी सिंह के अनुज जोरावरसिंह, पुत्र प्रतापसिंह तथा जमाता ने भी सशस्त्र क्रांतिकारियों में हिस्सा लिया। डॉ. मोहनलाल द्वारा लिखित यह पुस्तक उस महान् क्रांतिकारी को एक विनम्र श्रद्धांजलि है।
क्रांतिकारी बारहठ केसरीसिंह – अनुक्रमणिका
प्राक्कथन – क्रांतिकारी बारहठ केसरी सिंह
केसरी सिंह बारहठ का प्रारम्भिक जीवन
समाज सुधार की राह पर केसरीसिंह बारहठ
1911 का दिल्ली दरबार और केसरीसिंह