Thursday, October 24, 2024
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लोक संस्कृति

इस शृंखला में हम राजस्थान की लोक संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर लघु आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं। राजस्थान की लोकसंस्कृति अत्यंत प्राचीन रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं पर आधारित है जो लोकजीवन की आवश्यकताओं के अनुसार समय के साथ बनती चली गई।

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अचलगढ़ - www.rajasthanhistory.com

अचलगढ़ (आबू दुर्ग)

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आबूगढ़ पर परमारों का किला है, इस किले का कोट कुंभा ने बनवाया था। कुंभा स्वयं भी प्रायः इस दुर्ग में रहता था।
सिवाना दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

सिवाना दुर्ग

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अकबर के आदेश पर जोधपुर नरेश मोटा राजा उदयसिंह ने सिवाना पर आक्रमण किया। जब दुर्ग की रक्षा का कोई उपाय नहीं रहा तो कल्ला रायमलोत ने साका करने का निर्णय लिया। कल्ला की नवविवाहित हाड़ी रानी जो कि बूंदी के राव सुरजन हाड़ा की पुत्री थी, के नेतृत्व में जौहर का आयोजन किया गया।
खण्डेला दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

खण्डेला दुर्ग

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मुगल बादशाह अकबर के समय खण्डेला पर निर्वाण राजपूत शासन करते थे। वे लम्बे समय से यहाँ शासन करते आ रहे थे।
सूरतगढ़ दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

सूरतगढ़ दुर्ग

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सूरतगढ़ दुर्ग के लिए अधिकतर ईंटें रंगमहल से लाई गई थीं। रंगमहल भी यौधेयों का प्राचीन एवं महत्वपूर्ण स्थल था
अनूपगढ़ दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

अनूपगढ़ दुर्ग

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ई.1678 में जोहियों द्वारा निर्मित पुराने दुर्ग के स्थान पर एक नया दुर्ग बनवाया गया जिसका नाम बीकानेर नरेश अनूपसिंह के नाम पर अनूपगढ़ दुर्ग रखा गया।
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