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अनुक्रमणिका – पासवान गुलाबराय
इस उपन्यास के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक नवज्योति ने इसे धारावाहिक के रूप में भी प्रकाशित किया था।
राजस्थानी भाषा का साहित्य
राजस्थान का संत साहित्य विश्व का सर्वाधिक समृद्ध साहित्य है। राजस्थान के भक्ति आंदोलन में वैष्णव भक्तों, दादू पंथियों तथा राम स्नेही साधुओं ने विपुल मात्रा में संत साहित्य का सृजन किया। भक्ति, अध्यात्म, नीति एवं तत्व विवेचन इस साहित्य का प्रमुख आधार है।
राजस्थानी भाषा की बोलियाँ
राजस्थानी भाषा की इतनी अधिक बोलियाँ हैं कि प्रत्येक 10-12 किलोमीटर की दूरी पर बोली बदल जाती है। राजस्थान में रहने वाली प्रत्येक जाति की अपनी बोली है जो कुछ अंतर के साथ बोली जाती है।
राजस्थानी भाषा
राजस्थानी भाषा का इतिहास प्राचीन भाषाओं से आरम्भ होता है। उस समय न तो राजस्थान शब्द का उद्भव हुआ था और न भाषा शब्द...
खींची चौहानों के ठिकाणे
लाखनराव के पुत्र खींवराज के वंशज खींची चौहान कहलाए। राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच का क्षेत्र जिसकी सीमाएं हाड़ौती से लगती हैं, खींचीवाड़ा कहलाता था क्योंकि खींचियों का बड़ा राज्य उसी क्षेत्र में स्थापित हुआ। खींची चौहानों की राजधानी गढ़ गागरौन थी जिसे गुग्गर तथा गुगोर भी कहते थे।
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