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लालगढ़ दुर्ग एवं महल
लालगढ़ दुर्ग-महल में लगभग 100 आवासीय कक्ष बने हुए हैं जो रियासती काल में राजपरिवार एवं उनके अनुचरों के निवास स्थल हुआ करते थे। इस महल में एक समृद्ध पुस्तकालय भी है। इसमें कई मूल दस्तावेज एवं दुर्लभ ग्रंथ संजोये गये हैं।
चूरू दुर्ग
फरवरी 1816 में पृथ्वीसिंह ने तीन हजार आदमी एकत्रित करके चूरू दुर्ग पर आक्रमण किया किंतु उसके बहुत से आदमी मारे गये और पृथ्वीसिंह रामगढ़ चला गया।
जूनागढ़ बीकानेर
जूनागढ़ में स्थित महाराजा गंगासिंह का कार्यालय आज भी ज्यों का त्यों रखा गया है। उनकी मेज, कुर्सी, मुहर, वेषभूषा, तस्वीरें, घड़ियां, उनके शिक्षक का फोटो, दिल्ली दरबार में जो कुर्सी उन्हें बैठने के लिये दी गई, महाराजा का टेलिफोन आदि भी इस कार्यालय में रखे हैं।
आऊवा दुर्ग
ई.1857 की सैनिक क्रांति के समय क्रांतिकारी सैनिक, आउवा ठिकाणे में एकत्रित हुए। इस समय राजाओं ने अंग्रेजों का साथ दिया तथा भारतीय क्रांतिकारी सैनिकों का दमन किया।
बाली दुर्ग
यह भी कहा जाता है कि इस दुर्ग का निर्माण विक्रम संवत् 1240 में चौहान राजा बलदेव ने करवाया तथा अपने अपने नाम पर यहाँ बाली नाम का गांव बसाया।
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