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रूपनगढ़ दुर्ग
रूपनगढ़ दुर्ग की प्राचीर में नौ बुर्ज बनी हुई हैं। दुर्ग के भीतर राजसी महल, शस्त्रागार, बारूदखाना भूमिगत गलियारे, जेल तथा अन्य निर्माण देखे जा सकते हैं।
किशनगढ़ दुर्ग
महाराजा किशनसिंह के वंशज ई.1948 तक किशनगढ़ राज्य पर शासन करते रहे। छोटी रियासत के सीमित संसाधन होने पर भी किशनगढ़ के राजाओं ने कई दुर्ग बनवाये।
भूकरका दुर्ग
बीकानेर राज्य के सामंत खड़गसिंह ने ई.1608 के आसपास बेनीवाल जाटों से भूकरका छीना तथा भूकरका दुर्ग का निर्माण करवाया। यह पूरा क्षेत्र वैदिक...
महनसर दुर्ग
अंग्रेजों के समय में महनसर के ठाकुर को न्यायिक अधिकार प्राप्त थे। उसे जयपुर राज्य की तरफ से राजश्री तथा सोनानरेश की उपाधियां प्राप्त थीं।
नवलगढ़ एवं दलेलगढ़
नवलगढ़ एवं मंडावा के ठाकुरों ने उदयसिंह के नेतृत्व में पिलानी पर आक्रमण किया तथा दलेल गढ़ घेर लिया। लक्ष्मणसिंह को गढ़ खाली करके भागना पड़ा। संभवतः इसके बाद नवलगढ़ का दुर्ग पुनः नवलगढ़ के ठिकाणेदार उदयसिंह के ही अधीन हो गया।
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