इस उपन्यास में मारवाड़ राजय की एक दासी की कथा है जो मारवाड़ की रानी बनकर चालीस वर्षों तक मराठों से टक्कर लेती रही तथा जिसकी सेनाओं ने महादजी सिंधिया जैसे पराक्रमी मराठा सेनापति को पराजय का स्वाद चखाया।