इस ऐतिहासिक उपन्यास में शाहजहां के सबसे विश्स्त राजपूत राजा किशनगढ़ नरेश महाराजा रूपसिंह राठौड़ की जीवन गाथा को आधार बनाया गया है जिसने शामूगढ़ की लड़ाई में औरंगजेब के हाथी की अम्बारी की रस्सियां काटते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए थे। यह उपन्यास आज से कुछ वर्ष पहले भगवान कल्याण राय के आंसू और महाराजा रूपसिंह राठौड़ के नाम से प्रकाशित हुआ था।