महाराजा सूरजमल – अनुक्रमणिका पृष्ठ पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक महाराजा सूरजमल व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अध्यायों का क्रम दिया गया है। नीचे दिए गए शीर्षकों पर क्लिक करके उन अध्यायों तक पहुंचा जा सकता है। इस पुस्तक का मुद्रित संस्करण तथा ई-बुक संस्करण अमेजन पर उपलब्ध है। भारत सरकार ने इस पुस्तक को अपनी भारतवाणी परियोजना में सम्मिलित करके पाठकों को निःशुल्क अध्ययन हेतु उपलब्ध करवाया है।
महाराजा सूरजमल का उदय उस काल में हुआ जब मुगल सल्तनत अफगान आक्रांताओं की ठोकरों से जर्जर हो चुकी थी तथा मराठों ने नर्मदा पर करके यमुना तक का क्षेत्र अपने घोड़ों की टापों से कुचल डाला था। देश में कोई केन्द्रीय शक्ति नहीं बची थी और हिन्दू जाति लगभग पांच सौ साल से मुसमानी शासन में अत्यंत निर्धन अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी। ऐसे विकट काल में महाराजा सूरजमल ने यमुना के उपजाऊ मैदानों को अफगानियों, मुगलों, तुर्कों एवं मराठों द्वारा पददलित किए जाने से रोका तथा मुगलों की कम से कम तीन राजधानियां छीनकर हिन्दू जाति का उद्धार किया। इस पुस्तक में ऐसे अद्भुत वीर राजा का जीवन चरित्र एवं उपलब्धियां अत्यंत संक्षेप में लिखी गई हैं।
प्राक्कथन – महाराजा सूरजमल का युग एवं प्रवृत्तियाँ
महाराजा सूरजमल के जन्म की पृष्ठभूमि
राजकुमार के रूप में सूरजमल के कार्य