राजस्थान में दुर्ग निर्माण के समय दुर्गा का मंदिर अथवा थान अवश्य बनाया जाता था। दुर्ग की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा है, जो दुर्ग तथा दुर्ग-वासियों की रक्षा करती है।
अकबर के राज्यारोहण के समय राजस्थान में ग्यारह रियासतें थीं जिनमें से मेवाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ पर गुहिल, जोधपुर एवं बीकानेर पर राठौड़,...
महाराणा सज्जनसिंह (ई.1874-84) ने उदयपुर में सज्जनगढ़ नामक लघु-दुर्ग एवं राजप्रासाद का निर्माण करवाया।
18 अगस्त 1883 को सज्जनगढ़ में प्रवेश का उत्सव किया गया।...
ई. 1952 में सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर ऊंटाला का नाम बदलकर वल्लभनगर कर दिया गया। अब लोग इसे वल्लभनगर के नाम से ही जानते हैं और ऊंटाला दुर्ग का इतिहास नेपथ्य में चला गया है।
जूना बाहड़मेर, बाड़मेर-मुनाबाव रेलमार्ग पर स्थित जसाई रेल्वे स्टेशन से लगभग छः किलोमीटर दूर स्थित है। इसे प्राचीन समय में बाहड़मेरु, बाहड़गिरि, बाप्पड़ाऊ तथा जूना बाहड़मेर के नाम से जाना जाता था।