महाभारत के शांति पर्व के अध्याय 56 के श्लोक संख्या 35 में छः प्रकार के दुर्ग बताये गए हैं। मनु स्मृति में भी छः प्रकार के दुर्ग बताये गए हैं। मनु ने गिरि दुर्ग को सर्वश्रेष्ठ बताया है जहाँ देवता निवास करते हैं।
अकबर के राज्यारोहण के समय राजस्थान में ग्यारह रियासतें थीं जिनमें से मेवाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ पर गुहिल, जोधपुर एवं बीकानेर पर राठौड़,...
महाराणा सज्जनसिंह (ई.1874-84) ने उदयपुर में सज्जनगढ़ नामक लघु-दुर्ग एवं राजप्रासाद का निर्माण करवाया।
18 अगस्त 1883 को सज्जनगढ़ में प्रवेश का उत्सव किया गया।...
ई. 1952 में सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर ऊंटाला का नाम बदलकर वल्लभनगर कर दिया गया। अब लोग इसे वल्लभनगर के नाम से ही जानते हैं और ऊंटाला दुर्ग का इतिहास नेपथ्य में चला गया है।
ई.1730 से 1735 की अवधि में जोधपुर नरेश की सलाह पर बनेड़ा के जागीरदार सरदारसिंह ने कस्बे के निकट स्थित पहाड़ी पर नया बनेड़ा दुर्ग बनवाया जो आज भी मौजूद है।
अकबर के आदेश पर जोधपुर नरेश मोटा राजा उदयसिंह ने सिवाना पर आक्रमण किया। जब दुर्ग की रक्षा का कोई उपाय नहीं रहा तो कल्ला रायमलोत ने साका करने का निर्णय लिया। कल्ला की नवविवाहित हाड़ी रानी जो कि बूंदी के राव सुरजन हाड़ा की पुत्री थी, के नेतृत्व में जौहर का आयोजन किया गया।