Saturday, October 12, 2024
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सांचोर तथा रतनुपर दुर्ग

सांचोर तथा रतनुपर दुर्ग अब अस्तित्व में नहीं हैं किंतु प्रतिहार काल एवं चौहान काल में ये दुर्ग बड़े महत्वपूर्ण थे। रतनपुर के दुर्ग से उत्तर गुप्त कालीन शिल्पकला के मंदिरों के अवशेष प्रापत हुए हैं।

मारवाड़ तथा गुजरात राज्य के बीच मारवाड़ की सीमा में सांचोर तथा रतनुपर दुर्ग स्थित थे जो सोमनाथ पर हुए मुस्लिम आक्रमणों में नष्ट कर दिये गये। ई.1025 में मुहम्मद गजनवी ने सोमनाथ पर आक्रमण किया। उस समय सोमनाथ, सांचोर, रतनपुर तथा अन्हिलवाड़ा गुजरात के चौलुक्य शासक भीमदेव (प्रथम) के अधिकार में थे।

भीमदेव अपनी राजधानी अन्हिलवाड़ा को छोड़कर सांचोर चला आया तथा मुहम्मद गजनवी के विरुद्ध मोर्चाबंदी करके बैठ गया। गजनवी ने सांचोर पर आक्रमण किया। कई दिनों की लड़ाई के बाद भीमदेव को सांचौर छोड़कर भाग जाना पड़ा।

इसके बाद महमूद गजनवी ने आसानी से सोमनाथ पर अधिकार कर लिया। उसने सोमनाथ महालय नष्ट किया, पचास हजार लोगों को तलवार के घाट उतारा तथा बीस लाख दीनार से अधिक मूल्य का स्वर्ण लेकर गजनी को लौट गया। सोमनाथ की तरह सांचोर तथा रतनपुर में भी भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर थे, इन दोनों मंदिरों को भी महमूद गजनवी ने नष्ट कर दिया। इनके अवशेष आज भी गांव में दिखाई देते हैं जिन कलात्मक देव प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं। सांचोर तथा रतनुपर दुर्ग के अवशेष प्राप्त नहीं होते।

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