इस उपन्यास में मारवाड़ राजय की एक दासी की कथा है जो मारवाड़ की रानी बनकर चालीस वर्षों तक मराठों से टक्कर लेती रही तथा जिसकी सेनाओं ने महादजी सिंधिया जैसे पराक्रमी मराठा सेनापति को पराजय का स्वाद चखाया।
ठाकुर विजयसिंह ने दुर्ग के चारों ओर बुर्जों का तथा दुर्ग के भीतर महलों का निर्माण करवाया। उसने चारों कोनों पर चार बुर्ज बनवाईं जहाँ से तोपें चलाई जाती थीं।