राजस्थान की झीलें दो तरह की हैं- मीठे पानी की तथा खारे पानी की। खारे पानी की झीलें केवल राजस्थान में ही पाई जाती हैं। राजस्थान के पश्चिमी भाग में सामान्यतः खारे पानी की झीलें हैं तथा पूर्वी भाग में मीठे पानी की।
खारे पानी की झीलें किसी समय इस क्षेत्र में स्थित खारे समुद्र के सूख जाने से बने रेगिस्तान के बीच-बीच में झीलों के रूप में रह गई हैं जिनमें प्रतिवर्ष बरसात का नया जल आता रहता है।
मीठे पानी की झीलें रेगिस्तान के बनने के बाद इस क्षेत्र में बहकर आने वाली सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र में स्थित हैं जो सरस्वती नदी के सूख जाने से स्थान-स्थान पर बनी रह गई हैं। इनमें भी प्रतिवर्ष बरसात का नया जल आता रहता है।
खारे पानी की झीलों यथा सांभर, पचपदरा, फलौदी तथा लूणकरणसर से सोडियम क्लोराइड (नमक) तथा डीडवाना झील से सोडियम सल्फेट बनाया जाता है। जैसलमेर में खारे पानी की झील कावोद है। मीठे पानी की झीलों में नक्की झील, फतहसागर, जयसमंद, राजसमंद, बालसमंद, पुष्कर, पिछोला, भूपालसागर, आनासागर आदि प्रमुख हैं।
राजस्थान की झीलें – मीठे पानी की झीलें
पिछोला झील
यह झील उदयपुर नगर के पश्चिम में पिछोला गाँव के निकट स्थित होने के कारण पिछोला झील कहलाती है। यह मीठे पानी की झील है। इस झील का निर्माण 14 वीं शताब्दी के अंत में महाराणा लाखा के समय एक बणजारे ने करवाया था। महाराणा उदयसिंह ने इस झील का जीर्णोद्धार करवाया।
यह झील 7 किलोमीटर लम्बी और 2 किलोमीटर चौड़ी है। इस झील में तीन भाग हैं जिन्हें पिछोला, स्वरूपसागर और फतेहसागर कहते हैं। इस झील में स्थित टापुओं पर जगमंदिर एवं जगनिवास महल हैं। जगमंदिर महल को अब पाँच सितारा होटल में बदल दिया गया है जिसे लेक पैलेस कहते हैं।
फतेहसागर झील
यह झील पिछोला झील के उत्तर में पिछोला झील से एक नहर द्वारा जुड़ी हुई है। इसकी लम्बाई 2.5 किमी. तथा चौड़ाई 1.16 किमी है। इस झील का निर्माण 1678 ई. में महाराणा फतहसिंह ने करवाया था।
जयसमंद झील
यह झील राजस्थान में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह उदयपुर से 45 किमी. दूर सलूम्बर के निकट गोमती नदी के बांध से बनी है। इसका निर्माण महाराणा जयसिंह ने करवाया था। झील का क्षेत्रफल 55 वर्ग किमी व परिधि 145 किमी है। इसके बीच में कई टापू स्थित हैं। झील से दो नहरें-श्यामपुर तथा भटा निकाली गयी हैं जिनकी सामूहिक लम्बाई 324 किमी है तथा इनसे 10 हजार हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है।
राजसमंद झील
यह झील उदयपुर से 64 किमी. दूर है तथा राजसमंद जिला मुख्यालय एवं कांकरोली से सटी हुई है। इसका निर्माण ई. 1662 में महाराणा राजसिंह ने करवाया था। इस झील में गोमती नदी आकर गिरती है। इस झील का विस्तार 20 वर्ग किमी है। झील का उत्तरी भाग नौ चौकी कहलाता है। आज कल इस नदी में बनास नदी से भी जल लाया जाता है।
आनासागर झील
यह झील अजमेर नगर में स्थित है। इसका निर्माण ई. 1137 में चौहान राजा अर्णोराज अथवा आनाजी ने करवाया था। जिस स्थान पर यह झील बनी है, पहले युद्ध का मैदान था जहाँ पर अर्णोराज ने म्लेच्छ आक्रांताओं का बहुत बड़ी संख्या में वध किया था।
जब उनके शव सड़ने लगे तो उन्हें हटाने के लिये नाग पहाड़ों से निकलने वाली नदी (कुछ विद्वान इस नदी का नाम लूणी बताते हैं तो कुछ इसका नाम चंद्रा बताते हैं, कुछ विद्वान इस नदी को बाण्डी नदी कहते हैं।) को मोड़ कर इस स्थान से लाया गया जिससे सारे शव बहकर दूर चले गये।
बाद में अर्णोराज ने इस स्थान की खुदाई करवाकर वहाँ की मिट्टी भी हटवा दी और पक्के घाट बनाकर झील का निर्माण करवा दिया। इस झील के कारण अजमेर नगर का विकास बहुत तेजी से हुआ। जहाँगीर ने इस झील के निकट दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे अब सुभाष उद्यान कहते हैं। शाहजहाँ ने आनासागर झील के तट पर संगमरमर की बारादरी बनवाई।
सिलीसेढ़ झील
यह झील दिल्ली-जयपुर (वाया अलवर) मार्ग पर अलवर नगर से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। समीपवर्ती पर्वतों से बहकर आने वाले जल को एकत्र कर इस झील का निर्माण किया गया है। इस झील का निर्माण अलवर नरेश विनयसिंह ने करवाया था। यह 10 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली हुई है। इसका अतिरिक्त पानी जयसमंद में डालते हैं।
पुष्कर झील
यह झील राजस्थान की अत्यंत प्राचीन झीलों में से है। कहते हैं कि इसकी उत्त्पत्ति ब्रह्माजी के हाथ से गिरे कमल से हुई। यह अजमेर नगर से 11 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसमें वर्ष भर पानी रहता है। यह तीन तरफ से पहाड़ों से घिरी हुई है। इसके चारों ओर अनेक मंदिर और घाट बने हुए हैं। इस झील में स्नान करना अत्यंत महत्व रखता है। हिंदुओं में मान्यता है कि पुष्कर तीर्थराज प्रयाग का गुरु है। इसे तीर्थों का मामा भी कहते हैं।
नक्की झील
यह झील सिरोही जिले में माउण्ट आबू पर्वत पर स्थित है। यह राजस्थान की सबसे गहरी झील है। इसका क्षेत्रीय विस्तार 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। यह एक प्राकृतिक झील है। इसके बारे में मान्यता है कि इसे नाखूनों से खोदा गया था। यह झील राजस्थान में सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है।
तालछापर
चूरू जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर तालछापर नामक खारे पानी की झील स्थित है जिससे नमक बनाया जाता है। इस झील के पास 722 हैक्टेयर क्षेत्र में कृष्णमृग अभयारण्य स्थित है। यह अभयारण्य 2000 हैक्टेयर में फैला हुआ है।
कोलायत झील
यह बीकानेर से 48 किमी. पश्चिम में स्थित है। यहाँ पर सांख्य दर्शन के प्रणेता भगवान कपिल का आश्रम स्थित है। इस झील में वर्षपर्यंत जल रहता है। कार्तिक स्नान के समय यहाँ पूर्णिमा का मेला लगता है।
राजस्थान की झीलें – खारे पानी की झीलें
खारे पानी की झीलों से नमक बनाया जाता है। राजस्थान में देश का लगभग 8.5 प्रतिशत नमक बनता है तथा नमक उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में चौथा स्थान है। झीलों से नमक उत्पादन में राजस्थान का देश में पहला स्थान है।
भूवैज्ञानिकों के अनुसार जब टेथिस महासागर विभिन्न नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के कारण पट गया तब उसके बीच-बीच में खारे पानी की छोटी-छोटी झीलें रह गईं। टेथिस सागर में जमा लवण ही इन झीलों में नमक का प्रमुख स्रोत है। अंग्रेजी विद्वान नोटिलिंग के अनुसार सांभर झील के नीचे लवणीय जन के स्रोत प्रवाहित होते हैं जिनसे नमक प्राप्त होता है।
राजस्थान में इतनी बड़ी मात्रा में नमक पाये जाने का एक कारण ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाएं हैं जो अपने साथ कच्छ की खाड़ी से नमक युक्त धूल के कण लेकर आती हैं। ज्यों-ज्यों ये हवाएं राजस्थान की ओर अग्रसर होती हैं, उनकी गति में शिथिलता आती है और नमक के कण रेगिस्तानी क्षेत्र में गिर पड़ते हैं।
ये असंख्य कण इस क्षेत्र की छोटी-छोटी नदियों द्वारा वर्षा ऋतु में सांभर जैसी झीलों में पहुंचा दिये जाते हैं। अनुमानतः प्रतिवर्ष एक लाख टन नमक राजस्थान की इन झीलों में पहुंचता है। यही कारण है कि इन झीलों में नमक कभी समाप्त नहीं होता।
सांभर झील
यह राजस्थान ही नहीं अपितु भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। माना जाता है कि इसका निर्माण चौहान राजा ने करवाया था परंतु यह बात सही प्रतीत नहीं होती। यह एक प्राकृतिक झील है। इस झील का अधिकांश भाग जयपुर जिले में तथा कुछ भाग नागौर जिले में आता है।
यह झील उत्तर से दक्षिण में 32 किमी तथा पूर्व से पश्चिम में 3 से 12 किमी. तक विस्तृत है। इसका अधिकतम विस्तार 145 वर्ग किमी. तक होता है। इसकी गहराई चार मीटर हैं इसमें मेढ़ा, रूपनगढ़, खारी और खण्डेला नामक नदियाँ आकर गिरती हैं।
इस झील से खाने का नमक तथा सोडियम सल्फेट बनाया जाता है। इस झील में 35 करोड़ टन नमक का भण्डार है। सम्पूर्ण देश के 8 प्रतिशत नमक का उत्पादन इस झील से होता है।
वर्षा काल में मेंढा, रूपनगढ़, खरीयन और खाण्डेल बरसाती नदियों से इस झील में पानी आता है। इस झील के पूर्वी किनारे पर सांभर तथा उत्तरी किनारे पर नावां कस्बे बसे हुए हैं। इस झील से नमक बनाने में मौसम की अनुकूलता रहती है।
यहाँ दो विधियों से नमक बनाया जाता है। पहली विधि में नमक का पानी सूखकर गाढ़ा हो जाता है जिससे नमक की मोटी परत क्यारों में बनती है, इसे क्यार नमक कहते हैं। दूसरी विधि में वायु प्रवाह किया जाता है। इस विधि से प्राप्त नमक को रेशता नमक कहते हैं।
पचपदरा झील
यह खारे पानी की झील है तथा बाड़मेर जिले में बालोतरा के पास स्थित है। इसका अधिकतम विस्तार 25 वर्ग किलोमीटर है। इसमें वर्षा के पानी के साथ-साथ भूमिगत स्रोतों से भी पानी आता है जिससे नमक बनाया जाता है। इस झील में 1040 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से पानी बहकर आता है।
इस झील से प्राप्त नमक में 98 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड होता है। यहाँ खारवाल जाति के लोग ‘मोरली झाड़ी’ के द्वारा नमक बनाते हैं। पचपदरा का नमक समुद्री नमक से साम्य रखता है।
डीडवाना झील
यह झील नागौर जिले में स्थित है। इसके उत्तर पूर्वी सिरे पर डीडवाना कस्बा स्थित है। इस झील का अधिकतम विस्तार 10 वर्ग किमी. है। यह भी खारे पानी की झील है। इसके खारे पानी से किसी समय सोडियम सल्फेट बनाया जाता था किंतु अब यह उत्पादन बंद कर दिया गया है। इस झील के पेटे में काली कीचड़ है जिसके नीचे खारे पानी के भण्डार हैं। यहाँ का नमक प्रायः खाने के अयोग्य होता है।
लूणकरणसर
यह झील बीकानेर से उत्तर पूर्व में 80 किमी. दूर स्थित है। यह खारे पानी की झील है। इससे बहुत कम मात्रा में नमक बनाया जाता है। पोकरण, कुचामण, कावोद (जैसलमेर जिला), कछोर, रेवासा (सीकर जिला) फलौदी और सुजानगढ़ की झीलों से भी नमक तैयार किया जाता है। पोकरण का नमक सबसे उत्तम श्रेणी का नमक है। पचपदरा एवं डीडवाना में आयोडाइज्ड नमक कारखाने स्थापित किये गये हैं।
राजस्थान की झीलें – जिलेवार स्थिति
1. | अजमेर | आनासागर, फॉय सागर, पुष्कर। |
2. | अलवर | सिलीसेढ़, मानसरोवर, जयसागर, विजयसागर, मंगलसागर। |
3. | उदयपुर | फतहसागर, पिछोला, जयसमंद, उदयसागर, स्वरूप सागर। |
4. | करौली | नाग तलाई, जुग्गर, ममचेड़ी, नींदर, कालीसिल, खिरखिरी। |
5. | कोटा | जवाहर सागर। |
6. | चित्तौड़गढ़ | राणाप्रताप सागर, भूपाल सागर। |
7. | चूरू | तालछापर। |
8. | जयपुर | सांभर, छापरवाड़ा, देवयानी, जमवारामगढ़। |
9. | जालोर | बांकली बांध, चीतलवाणा बांध, बीठन बांध। |
10. | जैसलमेर | गढ़सीसर, अमरसागर, बुझ झील, ब्रह्मसर। |
11. | जोधपुर | बालसमंद, तखतसागर, उम्मेदसागर, कायलाना, प्रतापसागर। |
12. | झालावाड़ | मानसरोवर। |
13. | झुंझुनूं | अजीतसागर बांध। |
14. | टोंक | टोरडीसागर, बीसलपुर बांध। |
15. | डूंगरपुर | गैबसागर, सोम कमला। |
16. | दौसा | कालख सागर। |
17. | धौलपुर | रामसागर (वन विहार), तालाबशाही। |
18. | नागौर | डीडवाना, भाकरी मोलास,, भैंरुदा। |
19. | पाली | सरदार समंद। |
20. | बाड़मेर | पचपद्रा। |
21. | बारां | उम्मेदसागर, अकलेरा सागर, सीताबाड़ी। |
22. | बांसवाड़ा | कडाणा बांध, बजाज सागर बांध। |
23. | बीकानेर | लूणकरणसर, कोलायत, अनूपसागर, गजनेर। |
24. | बूंदी | नवलख सागर, जेतसागर, सूरसागर। |
25. | भरतपुर | मोती झील, केवलादेव झील, मादल झील तथा झील का बाड़ा। |
26. | भीलवाड़ा | मांडलताल, मेजाबांध, खारीबांध, अखड़बांध, सरेदीबांध, जैतपुरा। |
27. | राजसमंद | राजसमंद झील। |
28. | सवाईमाधोपुर | पाँचना बांध, मोरेल बांध। |
29. | सिरोही | नक्की झील। |
30. | सीकर | रायपुर बांध। |
31. | श्रीगंगानगर | शिवपुर हैड। |
32. | हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील। |
राजस्थान के प्रमुख तालाब
1. | पाली | हेमावास, दांतीवाड़ा, खरड़ा, मुथाना। |
2. | भीलवाड़ा | सरेरी, खारी, मेजा। |
3. | चित्तौड़गढ़ | वानकिया, मुरलिया, सेनापानी। |
4. | उदयपुर | बागोलिया। |
5. | बूंदी | कीर्तिमोरी, वरड़ा, हिण्डोली। |
6. | भरतपुर | पार्वती, बारेठा। |
7. | जैसलमेर | गढ़सीसर। |
8. | डूंगरपुर | एडवर्ड सागर। |
9. | प्रतापगढ़ | रायपुर, गंधेर, खेरोट, घोटार्सी, ढलमु, अचलपुर, जाजली, अचलावदा, साखथली, तेजसागर। |
–डॉ. मोहनलाल गुप्ता