बादलगढ़
झुंझुनूं स्थित बादलगढ़ का निर्माण 17वीं शताब्दी ईस्वी के अंतिम वर्षों में नवाब फजल खाँ द्वारा करवाया गया। यह दुर्ग मूलतः घोड़ों तथा ऊंटों के अस्तबल के रूप में बनवाया गया था। बाद में इसमें सेना भी रखी जाने लगी। इस दुर्ग में शीश महल, बारादरियां और बरामदे नहीं बने हुए हैं जैसे कि शेखावाटी क्षेत्र के अन्य दुर्गों में सामान्यतः पाये जाते हैं।
झुंझुनूं कस्बा शेखवाटी के केन्द्र में स्थित है। झुंझुनूं पर लगभग 280 वर्षों तक कायमखानी नवाबों ने शासन किया। रोहिल्ला खाँ झुंझुनूं का अंतिम नवाब हुआ। शार्दूलसिंह शेखावत, नवाब रोहिल्ला खाँ का विश्वसनीय दीवान था। ई.1730 में जब नवाब की निःसंतान अवस्था में मृत्यु हुई तो यही शार्दूलसिंह झुंझुनूं का शासक हुआ। वह 12 वर्षों तक झुंझुनूं पर शासन करता रहा। बाद में यह दुर्ग उसके वंशजों के अधिकार में रहा।
बाघोर दुर्ग
झुंझुनूं जिले में खेतड़ी कस्बे से 7 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर तंवर राजपूतों (तोमरों) का बाघोर दुर्ग स्थित है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी ईस्वी में गोगा और बाघा नामक तंवर भाइयों ने करवाया। कुछ समय बाद इस दुर्ग को मुसलमानों ने छीन लिया। खण्डेला के निर्वाणों ने मुसलमानों को भगाकर बाघोर दुर्ग अपने अधीन किया। बाद में खेतड़ी के शासक बख्तावरसिंह ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया। अब यह दुर्ग खण्डहर अवस्था में है।
बवाई दुर्ग
झुंझुनूं जिले में स्थित बवाई का दुर्ग पापूरना के निर्वाण राजपूतों ने बनवाया। यह स्थल दुर्ग है तथा समतल भूमि पर बना हुआ है। इसके चारों ओर मजबूत प्राकार एवं बुर्ज बनी हुई हैं। प्राकार के बाहर गहरी खाई बनी हुई है जिसमें हर समय पानी भरा रहता था। जयपुर नरेश सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने बवाई पर अधिकार कर लिया तथा इसे दलेलसिंह को प्रदान किया। जब दलेलसिंह तथा उसका पुत्र मांवड़ा-माधोली के युद्ध में मारे गये तो शेखावतों ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया। दुर्ग खण्डहर अवस्था में है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता