जूना बाहड़मेर, बाड़मेर-मुनाबाव रेलमार्ग पर स्थित जसाई रेल्वे स्टेशन से लगभग छः किलोमीटर दूर स्थित है। इसे प्राचीन समय में बाहड़मेरु, बाहड़गिरि, बाप्पड़ाऊ तथा जूना बाहड़मेर के नाम से जाना जाता था।
चन्द्रावती नगरी 11-12वीं सदी ईस्वी में बहुत समृद्ध थी। जैन मुनि सौभाग्यनंदि सूरि द्वारा ई.1515 में रचित ग्रंथ ‘विमल चरित्र’ के अनुसार इस क्षेत्र में परमारों के 1800 गांव थे।