Wednesday, March 12, 2025
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रघुनाथगढ़ तथा मानपुर दुर्ग

रघुनाथगढ़ के पुराने दुर्ग से ईस्वी 1093 का एक शिलालेख मिला है। रेवासा से भी चंदेलों के ई.1186 के तीन अभिलेख मिले हैं।

बड़ी सादड़ी के राजराणा

बड़ी सादड़ी के राजराणा मेवाड़ के 16 प्रमुख रजवाड़ों में स्थान रखते थे। बड़ी सादड़ी दुर्ग मेवाड़ राज्य के प्रमुख दुर्गों में से था।...

महाराणा प्रताप के साथी

आज संसार में जिस श्रद्धा एवं विश्वास के साथ महाराणा प्रताप (ई.1540-ई.1597) का स्मरण किया जाता है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि जिस...

राठौड़ों के दुर्ग

राठौड़ों का शासन थार मरुस्थल में रहा इस कारण राठौड़ों के दुर्ग पश्चिमी राजस्थान में अधिक संख्या में मिलते हैं। मेवाड़ एवं आम्बेर आदि...

डिग्गी दुर्ग

जयपुर से 80 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित डिग्गी दुर्ग जयपुर के कच्छवाहा शासक वंश में उत्पन्न राव खंगार के पुत्र भाखरसी के वंशजों ने...

जाटों की गढ़ैयाएँ

जाटों की गढ़ैयाएँ प्राचीरों पर लगी तोपों से भी सुरक्षित थीं। ये तोपें मुगल सेनाओं से लूटी गई थीं। ताकि शत्रु को दूर से ही मार गिराया जा सके।

सिनसिनी

ई.1704 में चूड़ामन ने सिनसिनी का दुर्ग पुनः जीत लिया किंतु ई.1705 में यह दुर्ग फिर से मुगलों के अधिकार में चला गया।

सांगानेर दुर्ग

जिला मुख्यालय भीलवाड़ा से चार किलोमीटर दूर स्थित सांगानेर दुर्ग का निर्माण अठारहवीं शताब्दी ईस्वी में मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय (ई.1711-34) ने करवाया...

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