राव जोधा के वंशजों ने भारत में कई स्वतंत्र राज्यों की स्थापना की। इनमें से अधिकांश राज्य 1947 ई. में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद रियासतों के एकीकरण के समय तक चलते रहे।
बीकानेर: राव जोधा के पुत्र अर्थात् दूसरी पीढ़ी के राजकुमार बीका ने, पिता के आदेश से नवीन बीकानेर राज्य की स्थापना की।
बीदावाटी: राव जोधा के पुत्र राजकुमार बीदा को, जोधा एवं बीका ने मोहिलवाटी का राज्य जीतकर दिया जो बीदावाटी कहलाया। यह जोधा एवं बीका के जीवन काल में स्वतंत्र राज्य रहा किंतु बाद में बीकानेर राज्य में मिल गया।
मेड़ता: राव जोधा ने वरसिंह तथा दूदा को मेड़ता की जागीर दी किंतु बाद में वरसिंह ने दूदा को रायण भेज दिया। दूदा कुछ दिन रायण में रहा किंतु वहाँ से अपने बड़े भाई बीका के पास बीकानेर चला गया। जोधा के पुत्र सूजा के समय में वरसिंह की मृत्यु हो गई तथा वरसिंह का पुत्र सीहा मेड़ता का स्वामी हुआ। सीहा अयोग्य तथा मदिरा के नशे में धुत्त में रहता था। इसलिये राव दूदा ने बीकानेर से मेड़ता आकर सीहा को हटा दिया और स्वयं मेड़ता का स्वतंत्र शासक बन गया। राव मालदेव के समय में मेड़ता राज्य, जोधपुर राज्य में सम्मिलित हो गया।
झाबुआ: जोधा के पुत्र वरसिंह जिसे जोधा ने मेड़ता की जागीर पर नियुक्त किया था, उसके वंशजों ने मालवा क्षेत्र में झाबुआ राज्य की स्थापना की।
अमझेरा: जोधा के छठी पीढ़ी के राव राम, जो कि राव मालदेव का पुत्र था, ने अमझेरा का राज्य स्थापित किया। 1857 ई. में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अमझेरा के शासक बख्तावरसिंह ने क्रांतिकारी सैनिकों का साथ दिया। इसलिये यह राज्य सिंधिया को दे दिया गया।
किशनगढ़: जोधा की आठवीं पीढ़ी के राजकुमार किशनसिंह, जो कि मोटा राजा उदयसिंह का पुत्र था, ने किशनगढ़ राज्य की स्थापना की।
रतलाम: जोधा की नौंवी पीढ़ी के राजकुमार राव रतनसिंह ने रतलाम का राज्य स्थापित किया।
सीतामऊ: रतलाम की शाखा के राजकुमारों ने सीता मऊ का राज्य स्थापित किया।
सैलाना: रतलाम की शाखा के राजकुमारों ने सैलाना का राज्य स्थापित किया।
नागौर: राव जोधा के दसवीं पीढ़ी के राजकुमार राव अमरसिंह ने जोधपुर राज्य में से पृथक एवं स्वतंत्र नागौर राज्य की स्थापना की। महाराजा अजीतसिंह के समय में नागौर राज्य पुनः जोधपुर राज्य में सम्मिलित कर लिया गया।
नागौर: राव जोधा के बारहवीं पीढ़ी के राजकुमार, राजाधिराज बखतसिंह ने जोधपुर राज्य में से अर्द्ध-स्वतंत्र नागौर राज्य की स्थापना की जो स्वयं बखतसिंह के जोधपुर का राजा बन जाने पर जोधपुर राज्य में सम्मिलित हो गया।
रूपनगढ़: जोधा के वंशज सावंतसिंह के पुत्र राजकुमार सरदारसिंह ने किशनगढ़ राज्य में से अलग रूपनगढ़ राज्य की स्थापना की। बाद में बिड़दसिंह के समय यह राज्य पुनः किशनगढ़ राज्य में सम्मिलित हो गया।
ईडर: ईडर राज्य की स्थापना मूलतः सीहा के पुत्र सोनिंग ने की थी। जोधपुर नरेश अभयसिंह के समय में मुगल बादशाह ने ईडर का राज्य अभयसिंह को दे दिया। अभयसिंह के भाई आनंदसिंह ने अभयसिंह से असंतुष्ट होकर ईडर राज्य पर अधिकार कर लिया तथा ईडर राज्य की पुनर्स्थापना की।