Thursday, November 21, 2024
spot_img

घूमर नृत्य है लोकनृत्यों की रानी

घूमर नृत्य समूचे राजस्थान का लोकप्रिय नृत्य है। इसे राजस्थान के लोकनृत्यों की रानी कहा जा सकता है।

यह लोकनृत्य थार के रेगिस्तान से लेकर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा के आदिवासी क्षेत्र, अलवर-भरतपुर के मेवात क्षेत्र, कोटा-बूंदी-झालावाड़ के हाड़ौती क्षेत्र एवं धौलपुर-करौली के ब्रज क्षेत्र तक में किया जाता है।

मारवाड़, मेवाड़ तथा हाड़ौती अंचल के घूमर में थोड़ा अंतर होता है। रेगिस्तानी क्षेत्र की घूमर में शृंगारिकता अधिक होती है जबकि मेवाड़ी अंचल की घूमर गुजरात के गरबा से अधिक मेल खाती है।

यह होली, दीपावली, नवरात्रि, गणगौर जैसे बड़े त्यौहारों एवं विवाह आदि मांगलिक प्रसंगों पर घर, परिवार एवं समाज की महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह विशुद्ध रूप से महिलाओं का नृत्य है।

परम्परागत रूप से महिलाएं इस नृत्य को पुरुषों के समक्ष नहीं करती थीं किंतु अब इस परम्परा में शिथिलता आ गई है। इस नृत्य में सैंकड़ों महिलाएं एक साथ भाग ले सकती हैं।

राजस्थानी महिलाएं जब घुमावदार घेर का घाघरा पहनकर चक्कर लेकर गोल घेरे में नृत्य करती हैं तो उनके लहंगों का घेर और हाथों का लचकदार संचालन देखते ही बनता है। गोल चक्कर बनाने के बाद थोड़ा झुककर ताल ली जाती है।

इस नृत्य के साथ अष्टताल कहरवा लगाया जाता है जिसे सवाई कहते हैं। इसे अनेक घूमर गीतों के साथ मंच पर अथवा खुले मैदानों में किया जाता है। विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं सरकारी आयोजनों में इस नृत्य की धूम रहती है। 

घूमर नृत्य के साथ घूमर गीत गाया जाता है-

म्हारी घूमर छै नखराली ए माँ।

घूमर रमवा म्हैं जास्यां।

सागर पाणीड़ै जाऊं निजर लग जाय।

कुण जी खुदाया कुवा बावड़ी ए परिणाहरी ए लो।

सामंती काल में घूमर राजपरिवारों की महिलाओं का सर्वाधिक लोकप्रिय नृत्य था। इसे जनसामान्य द्वारा आज भी चाव से किया जाता है। राजपूत महिलाओं से लेकर भील एवं गरासिया आदि जनजातियों की महिलाएं भी घूमर नृत्य करती हैं।

राजपरिवारों की महिलाएं इस नृत्य को अपने महलों में करती थीं जिसे पुरुष नहीं देख सकते थे। पुराने रजवाड़ों में यह परम्परा आज भी बनी हुई है।

घुड़ला, घूमर एवं पणिहारी नृत्य में महिलाओं द्वारा एक जैसे गोल चक्कर बनाए जाते हैं। घूमर नृत्य लोकप्रिय लोकनृत्य होने के साथ-साथ आज व्यावसायिक नृत्य का भी रूप ले चुका है। मारवाड़ में राजपरिवारों के मनोरंजन के लिए त्यौहारों एवं शादी-विवाह पर पातरियों और पेशेवर नृत्यांगनाओं की भी घूमर होती थी। 

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source