राजस्थान भारत का सबसे बड़ा प्रांत तो है ही, साथ ही विविध भूगर्भीय संरचना वाला प्रांत भी है। इस कारण राजस्थान के विभिन्न जिलों की मृदा एवं जलवायु में बहुत अंतर पाया जाता है। इन कारकों का प्रभाव उस जिले में उत्पन्न होने वाली फसल पर होता है। इस आलेख में राजस्थान के कृषि-जलवायु क्षेत्र , उनके अंतर्गत आने वाले जिले तथा उनमें उत्पन्न होने वाली खरीफ एवं रबी की फसलों की जानकारी दी गई है।
जलवायु क्षेत्र | सम्मिलित जिले | खरीफ की मुख्य फसलें | रबी की मुख्य फसलें | |
शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र | बाड़मेर एवं जोधपुर | बाजरा, मोठ एवं तिल | गेहूं, सरसों एवं जीरा | |
उत्तरी पश्चिमी सिंचित मैदानी क्षेत्र | श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ | कपास एवं ग्वार | गेहूं, सरसों एवं चना | |
अति शुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्र | बीकानेर, जैसलमेर एवं चूरू | बाजरा, मोठ एवं ग्वार | गेहूं, सरसों एवं चना | |
अन्तः स्थलीय जलोत्सरण के अन्तर्वर्ती मैदानी क्षेत्र | नागौर, सीकर, झुन्झुनू एवं चुरू जिले का भाग | बाजरा, ग्वार एवं दलहन | सरसों एवं चना | |
लूनी नदी का अन्तर्वर्ती मैदानी क्षेत्र | जालौर, पाली, सिरोही एवं जोधपुर जिले का भाग | बाजरा, ग्वार एवं तिल | गेहूं एवं सरसों | |
अर्द्ध शुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्र | जयपुर, अजमेर, दौसा एवं टोंक | बाजरा, ग्वार एवं ज्वार | गेहूं, सरसों एवं चना | |
बाढ़ सम्भाव्य पूर्वी मैदानी क्षेत्र | अलवर, धौलपुर, भरतपुर, करौली एवं सवाईमाधोपुर | बाजरा, ग्वार एवं मूंगफली | गेहूं, जौ, सरसों एवं चना | |
अर्द्ध आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र | भीलवाड़ा, राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, उदयपुर एवं सिरोही जिले का भाग | मक्का, दलहन एवं ज्वार | गेहूं एवं चना | |
आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र | डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ एवं उदयपुर जिले का भाग | मक्का, चावल, ज्वार एवं उड़द | गेहूं एवं चना | |
आर्द्र दक्षिणी पूर्वी मैदानी क्षेत्र | कोटा, झालावाड़, बून्दी, बारां एवं सवाई माधोपुर जिले का भाग | ज्वार एवं सोयाबीन | गेहूं एवं सरसों |
उक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि राजस्थान के प्रत्येक कृषि-जलवायु क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की फसलें उत्पन्न होती हैं। जलवायु में अंतर के अनुरूप ही फसलों के प्रकार में परिवर्तन का एक क्रम भी स्पष्ट दिखाई देता है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता