रघुनाथगढ़ तथा मानपुर दुर्ग सीकर जिले में स्थित हैं तथा इन दोनों ही दुर्गों के निर्माण शेखावाटी क्षेत्र के शेखावत जागीरदारों ने करवाया था।
रघुनाथगढ़ दुर्ग
रघुनाथगढ़ दुर्ग शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले में स्थित एक पहाड़ी पर निर्मित है जिसे मालकेत पहाड़ी कहा जाता है। यह दुर्ग समुद्र की सतह से साढ़े तीन हजार मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है। दुर्ग तक पहुंचने का पथ दुर्गम होने के कारण शत्रु के लिए रघुनाथगढ़ दुर्ग तक पहुंचना अत्यंत दुष्कर कार्य था।
रघुनाथगढ़ दुर्ग का निर्माण ईस्वी 1791 में सीकर के रावराजा देवीसिंह ने करवाया था। इस दुर्ग में स्थित रघुनाथजी का मंदिर, महादेव का पुराना मंदिर, महिषासुर मर्दिनी की विशाल एवं प्राचीन संगमरमर की प्रतिमा, अलखाजी का कुण्ड आदि दर्शनीय हैं। रघुनाथगढ़ दुर्ग के आंगन में दो टांके बने हुए हैं जो जलापूर्ति के काम आते थे।
रघुनाथगढ़ का पुराना दुर्ग
इस दुर्ग से कुछ दूरी पर एक और प्राचीन दुर्ग के खण्डहर मौजूद हैं। इस पुराने गढ़ पर चंदेल राजपूत शासन किया करते थे जो चंद्रवंशी क्षत्रियों की परम्परा में हैं। रघुनाथगढ़ के साथ-साथ रेवासा तथा कासली भी चंदेलों के अधिकार क्षेत्र में थे।
रघुनाथगढ़ के पुराने दुर्ग से ईस्वी 1093 का एक शिलालेख मिला है। रेवासा से भी चंदेलों के ई.1186 के तीन अभिलेख मिले हैं। इन अभिलेखों से ज्ञात होता है कि बारहवीं शताब्दी ईस्वी में यह क्षेत्र अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान के अधीन हुआ करता था। इन अभिलेखों में चंदेल योद्धाओं के नाम दिए गए हैं।
मानपुर दुर्ग
जिला मुख्यालय सीकर के श्योपुर कस्बे से 32 किलोमीटर दूर स्थित मानपुर दुर्ग का निर्माण गौड़ राजा मानसिंह ने करवाया था। यह सीप नदी के तट पर लगभग 13 बीघा क्षेत्र में निर्मित है। दुर्ग में आठ महल हैं जिनमें पालखी महल तथा रानी महल देखने योग्य हैं। रानी महल में 36 राग-रागिनियों के चित्र बने हुए हैं।
कठपुतलियों के भित्तिचित्र देखते ही बनते हैं। पालखी महल में पत्थरों की नक्काशीदार जालियां स्थापत्य का अच्छा नमूना हैं। दुर्ग परिसर में बने दीवाने आम, दीवाने खास, बारादरी (बारहद्वारी) तथा अश्वशाला भी दर्शनीय है। संरक्षण के अभाव में पूरा दुर्ग खण्डहर में बदल चुका है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता