लाडनूं से प्राप्त शिलालेख : राजस्थान बनने के बाद से लाडनूं नागौर जिले में था किंतु कुछ वर्ष पूर्व ही इसे नवनिर्मित डीडवाना-कुचामन जिले में सम्मिलित किया गया है। इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।
लाडनूं एवं उसके आसपास के क्षेत्र पर कभी नागों का शासन था जिनका एक राजा मुसलमान हो गया था। उसके बाद यह क्षेत्र मुसलमानों के अधीन रहा। इस कारण लाडनूं से प्राप्त शिलालेख अधिकतर मुसलमान जागीरदारों के हैं।
राजा साधारण का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – भाद्रपद वदि 3, शुक्रवार वि.सं. 1373 (6.8.1316 या 26.8.1317)
विवरण – अभिलेख में कास्यप गोत्रीय क्षत्रिय साधारण द्वारा सपादलक्ष प्रदेश की राजधानी नागपतन (नागौर) से साढ़े सात योजन दूर स्थित लाडनूं में एक वापी खुदवाने एवं उसकी प्रतिष्ठा करवाने का उल्लेख है। हरितान (हरियाणा) प्रदेश के नगर ढिल्ली (दिल्ली) के शासकों की निम्न नामावली वंशानुक्रम से दी गई है- साहव्वदीन कुतुबुद्दीन, पेरोजसाही, अलावदीन, मोजदीन, नसरदीन, ग्यासद्दीन, कुद्दी अलावदीन जो कि इस समय ढिल्ली का शासक था। कुद्दी अलावद्दीन ने वंश, तिलंग गुर्ज्जर, कर्णाट, गौडदेस, गर्ज्जदार्ज्जन के पहाड़ी राजाओं एवं पांड्यों जो कि समुद्र के किनारे पर थे, को पराजित किया एवं निज स्तम्भ बनवाया।
इसके अनन्तर राजा साधारण का वंश परिचय देते हुए कहा गया है कि पश्चिम दिशा में इष्ठ (रामकर्ण आसोपा ने इसे उइ पढ़ा है।) नामक नगर में क्षत्रिय राजा भुवनपाल रहता था जो कास्यप गोत्रीय था। भुवनपाल का विवाह सुशीला से हुआ, जिसके गर्भ से नाल्हड़ का जन्म हुआ था। नाल्हड़ की पत्नी जोण्हीति के गर्भ से कीर्तिपाल उत्पन्न हुआ। कीर्तिपाल की नाल्हड़ नामक पत्नी के गर्भ से साधारण का जन्म हुआ।
पितृवंश के अनन्तर राजा साधारण के मातृपरिवार का परिचय दिया गया है- साधारण नामक क्षत्रिय के जौणपाल नामक पुत्र था। जौणपाल के जूमा नामक पुत्र हुआ। जूमा का विवाह श्रीमद गौत्रीय कन्या जोई से हुआ। जोई ने नाल्हड़ नामक कन्या को जन्म दिया जिसके गर्भ से साधारण का जन्म हुआ।
इसके अनन्तर साधारण के श्वसुर वंश का परिचय दिया गया है- दिवणनपुर में हरीपाल नामक क्षत्रिय रहता था जिसका पुत्र सादड़ था। सादड़ के नागी नामक पुत्री थी, जिसका कि विवाह साधारण के साथ हुआ था।
प्रशस्ति का प्रथम भाग (छन्द 35 तक) दीक्षित कामचन्द्र द्वारा सृजित एवं अवशिष्ट भाग महिया के पौत्र एवं दालू के पुत्र गौड़ कायस्थ डांडा द्वारा सृजित। राजकरण द्वारा उत्कीर्ण। (संदर्भ, भण्डारकर द्वारा प्रो. रि.आ.सं., वे.स. 1906-07 पृष्ठ 31 एवं रामकर्ण आसोपा द्वारा ए.इं. खण्ड 12, पृ. 23 पर फलक सहित सम्पादित)
जामा मस्जिद की महराब का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी
तिथि – जिल्कादह हि.सं. 772 (12 जून 1371)
विवरण – सुल्तान फिरूज शाह तुगलक के शासनकाल में सेनाध्यक्ष बान्सुर निवासी मुहम्मद फीरूज के आदेश से यह मस्जिद बनी। इस समय मलिक दैलान उप-प्रशासन अधिकारी था। (संदर्भ, डॉ. एम.ए. चगताई द्वारा ए.इं.मु. 1949-50, पृ. 18-19)
ईदगाह अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी
विवरण -यह जामा मस्जिद पहले नष्ट हो गई थी सेनापति मोहम्मद फिरोज थानस मोदी के आदेश से बादशाह फिरोज शाह सुल्तान के शासनकाल में इसका पुनर्निर्माण हुआ। (संदर्भ, ए.इं.मु. 1949-50, पृ. 18 पर ए. चगताई द्वारा सम्पादित)
हजीर वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी
तिथि – शबान 10 हि. 780 (2 सितम्बर 1378)
विवरण – उथमान के पुत्र मलिकुश शर्क इस्तियारूद्दौलत वाद्दीन चूबान के प्रान्तपतित्व काल में भोजा मोथल के पौत्र एवं मुबारक उर्फ जीख के पुत्र अल्लाउद्दीन द्वारा मस्जिद के निर्माण का उल्लेख हुआ है।
दुर्ग अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी
तिथि – सफर 6 हि. 887 (?) (27 मार्च 1482)
विवरण – मुक्ति (राज्यपाल) एवं फौजदार मलिक-इ-मुलूकिश शर्क इब्राहिम जी (चि) मन खान किश्लूखानी द्वारा लाडनूं में रूक्कन टाक के पुत्र असअद एवं कांज की देखरेख में दुर्ग की मरम्मत एवं झार के निर्माण का उल्लेख हुआ है। (संदर्भ, ए.इं.मु. 1949-50, पृ. 21-22)
उमरावशाह गाजी की दरगाह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी
विवरण – ‘अल-मुल्कु लिल्लाह’ अर्थात् मात्र अल्लाह का राज्य। (संदर्भ, ए.रि.इं.ए. 1668-69 संख्या डी 420)



