Thursday, November 13, 2025
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मकराना से प्राप्त शिलालेख

मकराना से प्राप्त शिलालेख : इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।

मकरान क्षेत्र प्राचीन काल में ईरान के हख़ामनी साम्राज्य का हिस्सा था जिसे माका नामक सात्रापी कहा जाता था। यह क्षेत्र भारत और ईरान के बीच व्यापार, तीर्थयात्रा और सैन्य मार्ग के रूप में उपयोग होता था। यह अरब सागर से लगा एक तटीय, अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है।

वर्तमान समय में मकरान नाम से एक क्षेत्र ईरान में तथा दूसरा क्षेत्र पाकिस्तान में है। ईरान में मकरान का विस्तार सिस्तान व बलूचिस्तान प्रान्त के दक्षिणी भाग तक होता है।

पाकिस्तान में यह बलूचिस्तान और सिंध प्रान्तों के दक्षिणी भाग में फैला है। इसमें ग्वादर, ओरमारा और पसनी जैसे तटीय शहर शामिल हैं। पाकिस्तान के मकरान में बलोच और सिन्धी लोग अधिक संख्या में रहते हैं। अफ्रीकी मूल तथा मकरानी समुदाय के लोग भी रहते हैं जो भारत और पाकिस्तान में मिलने वाले सिद्दी समुदाय से जुड़े हैं।

भारत में डीडवाना-कुचामन जिले के मकराना में भी मुसलमानों की बड़ी जनसंख्या रहती है जो मध्यकाल में अफ्रीका एवं ईरान की तरफ से आकर बसी होगी।

शाहजहाँ का शिलालेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1061 (ई.1651)

विवरण – मिर्जा बेग द्वारा एक वापी पर लगे इस शिलालेख में निम्नजाति को मध्य जाति के लोगों के साथ इस बावड़ी से पानी नहीं लेने का आदेश दिया गया है। (संदर्भ, इं.आ. 1962-63 पृ. 60)

पहाड़ कुआं का शिलालेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1061 (ई.1650-51)

विवरण – पहाड़ खाँ के प्रयास से कूप निर्माण होने का उल्लेख है।

शाहजहाँ कालीन शिलालेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1064 (ई.1654-55)

विवरण – शिलालेख में एक ग्राम की स्थापना तथा कूप एवं मस्जिद के निर्माण हुआ है। निर्माता का नाम पहाड़ खाँ दिया गया है।

छप्परवाली मस्जिद का शिलालेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – ज्ञात नहीं

विवरण – सम्भवतः किसी मस्जिद के निर्माण का उल्लेख हुआ है। (संदर्भ, ए.रि.इं.ए. 1969-70 सं. डी 168 पर निर्देशित)

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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