राव जोधा का परिवार काफी बड़ा था। उसकी 6 रानियां थीं। ख्यातों में राव जोधा के 17 पुत्रों का उल्लेख मिलता है। कुछ राजकुमारियां भी थीं।
जोधा की रानियां
विभिन्न ख्यातों के अनुसार राव जोधा की 6 रानियां थीं- (1.) हाड़ी रानी जसमादे, (2.) भटियाणी रानी पूरां, (3.) सांखली रानी नौरंगदे, (4.) हूलणी रानी जमना, (5.) सोनगरी रानी चम्पा तथा (6.) बाघेली रानी वीनां।
जोधा के पुत्र
विभिन्न ख्यातों में जोधा के पुत्रों की संख्या अलग-अलग दी हुई है। कुछ ख्यातों में उसके 19 पुत्र होने का उल्लेख है तो कुछ ख्यातें 17 तथा 14 पुत्र होने का उल्लेख करती हैं। उसके 17 पुत्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है-
(1.) नींबा
नींबा का जन्म राव जोधा की हाड़ी रानी जसमादे के गर्भ से हुआ था। यह जोधा का सबसे बड़ा पुत्र था और कुंवरपदे में ही मर गया था।
(2.) सातल
इसका जन्म भी हाड़ी रानी जसमादे के गर्भ से हुआ था। इसने पोकरण और फलोदी के पास के प्रदेश पर अधिकार किया तथा सातलमेर नामक नगर बसाया। वरसिंह के मरने पर इसने मेड़ता पर भी अधिकार कर लिया। जोधा की मृत्यु के बाद सातल जोधपुर की गद्दी पर बैठा।
(3.) सूजा
इसका जन्म भी हाड़ी रानी जसमादे के गर्भ से हुआ था। सातल की निःसंतान अवस्था में असामयिक मृत्यु हो जाने पर सूजा, सातल का उत्तराधिकारी हुआ तथा जोधपुर की गद्दी पर बैठा।
(4.) कर्मसी
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ। इसके वंशज कर्मसिंहोत कहलाये। कर्मसी ने खींवसर बसाया। जोधा ने इसे नादसर दिया था और कांधल को भी साथ भेज था। इसका एक विवाह मांगलिया भोज हमीरोत की पुत्री से हुआ था, जिससे पांच पुत्र- उदयकरण, पंचायण, धनराज, नारायण तथा पीथूराव हुए। कर्मसी, भोमियों से युद्ध करते हुए लूणकरण के साथ नारनोल में मारा गया।
(5.) रायपाल
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ। इसके वंशज रायपालोत कहलाये। इसने आसोप बसाया।
(6.) वणवीर
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ। इसके वंशज वणवीरोत कहलाये।
(7.) जसवन्त (जसूत)
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ।
(8.) कूंपा
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ।
(9.) चांदराव
इसका जन्म भटियाणी राणी पूरां के गर्भ से हुआ।
(10.) बीका
इसका जन्म सांखली राणी नौरगंदे के गर्भ से हुआ। इसने बीकानेर राज्य की स्थापना की। वि.सं. 1545 (ई.सं. 1488) में इसने अपने नाम पर बीकानेर नगर बसाया। इसके वंशज बीका कहलाये जो भारत को आजादी मिलने तक बीकानेर राज्य पर शासन करते रहे।
(11.) बीदा
इसका जन्म सांखली राणी नौरगंदे के गर्भ से हुआ। इसके वंशज बीदावत कहलाये जो बीकानेर राज्य में बीकों के साथ रहे। जोधा ने छापर द्रोणपुर को जीतकर वहाँ का अधिकार पहले जोगा को सौंपा था परन्तु उसको अयोग्य देखकर बाद में बीदा को वहाँ का अधिकारी बना दिया। बीदा के पुत्र उदयकरण, हीरा और खलसी हुए।
(12.) जोगा
इसका जन्म हूलणी राणी जमना के गर्भ से हुआ। राव जोधा ने छापर द्रोणपुर पर विजय प्राप्त कर, वहाँ का अधिकार पहले इसी को दिया था।
(13.) भारमल
इसका जन्म हूलणी राणी जमना के गर्भ से हुआ। इसके वंशज भारमलोत कहलाये। राव जोधा ने इसे बिलाड़ा का क्षेत्र प्रदान किया।
(14.) दूदा
इसका जन्म सोनगरी राणी चंपा के गर्भ से हुआ। 1489 ई. में जोधा की मृत्यु होने पर इसने मेड़ता में अपना ठिकाना बांधा। इसके वंशज मेड़तिया राठौड़़ कहलाये। दूदा ने अपने पिता राव जोधा के संकेत पर बहुत थोड़े से साथियों को साथ ले, नरसिंह सींधल के पुत्र को जा घेरा और उसे अकेले द्वंद्व-युद्ध में मारकर राठौड़़ों का पुराना वैर लिया। इसने देश में बिगाड़ करने वाले अजमेर के सूबेदार सिरिया खाँ को मारा। दूदा के पांच पुत्र थे- वीरमदे, रतनसी, रायमल, रायसल और पंचाथण। वीरमदे के पुत्र चांदा के वंशज चांदावत कहलाये।
(15.) वरसिंह
इसका जन्म सोनगरी राणी चंपा के गर्भ से हुआ। इसके वंशज वरसिंहोत कहलाये। इसका एक पुत्र जेता हुआ। बांकीदास ने लिखा है- ‘राव जोधा ने वरसिंह और दूदा को सम्मिलित रूप से मेड़ता दिया था। जोधा की मृत्यु के बाद वरसिंह ने दूदा को मेड़ता से बाहर निकाल दिया। इस पर दूदा बीकानेर चला गया। एक बार वरसिंह ने दुष्काल पड़ने पर बादशाह के अधिकार वाले सांभर नगर में लूट मार की। इस पर मुसलमानों ने वरसिंह को अजमेर में कैद कर लिया। दूदा तथा बीका ने बीकानेर से आकर इसे मुक्त कराया। वरसिंह की मृत्यु होने पर सातल ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया और दूदा भी वहीं आ गया। दूदा ने आधी भूमि वरसिंह के पुत्र सीहा को दे दी।
(16.) सामन्तसिंह
इसका जन्म बाघेली राणी वीनां के गर्भ से हुआ। इसने खैरवा पर अधिकार किया।
(17.) सिवराज
इसका जन्म बाघेली राणी वीनां के गर्भ से हुआ। राव जोधा ने इसे दुनाड़ा का क्षेत्र प्रदान किया।
अधिकांश ख्यातों के अनुसार राव जोधा के सत्रह पुत्रों में नींबा सबसे बड़ा था परन्तु नींबा के बाद कौनसा पुत्र बड़ा था, यह विवाद का विषय है। कुछ ख्यातें बीका को तो कुछ ख्यातें सूजा को जोधा का द्वितीय पुत्र बताती हैं। जोधा के बाद उसका पुत्र सातल जोधपुर का राजा हुआ। सातल के निःसंतान मर जाने के कारण जोधा का अन्य पुत्र सूजा जोधपुर की गद्दी पर बैठा।
रेउ ने जोधा के 20 पुत्रों की सूची दी है। उसकी सूची में नींबा के बाद जोगा को दूसरे नम्बर पर, सातल को तीसरे नम्बर पर, सूजा को चौथे नम्बर पर तथा बीका को पांचवे नम्बर पर बताया है। रेउ द्वारा दी गई सूची इस प्रकार से है- 1. नींबा, 2. जोगा, 3. सातल, 4. सूजा, 5. बीका, 6. बीदा, 7. वरसिंह, 8. दूदा, 9. करमसी, 10. वणवीर, 11. जसवंत, 12. कूंग, 13. चांदराव, 14. भारमल, 15. शिवराज, 16. रायपाल, 17. सांवतसी, 18. जगमाल, 19. लक्ष्मण और 20. रूपसिंह। यह सूची सही नहीं है। क्योंकि यदि बीका पांचवे नम्बर का पुत्र होता तो वह सूजा के समय में जोधपुर पर आक्रमण करके अपना अधिकार नहीं जताता।
जोधा की पुत्रियां
राव जोधा के कई पुत्रियां हुई थीं जिनकी अब पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं होती। जोधा की एक पुत्री राजबाई का विवाह मोहिलों के राजा अजीतसिंह से हुआ। दूसरी पुत्री शृंगार देवी का विवाह महाराणा कुम्भा के पुत्र रायमल से हुआ। शृंगारदेवी का नाम किसी भी ख्यात में नहीं मिलता। घोसुंडी गांव से मिली वृहत् प्रशस्ति से ही शृंगार देवी के होने की जानकारी मिल सकी है।
इस प्रकार राव जोधा का परिवार बहुत बड़ा था। उस काल में राजाओं के परिवार इतने बड़े ही होते थे। राजा के पुत्र बड़े होकर राजा का राज्य बढ़ाने एवं राज्य की रक्षा करने में सहायक सिद्ध होते थे। बहुत से पुत्रों की मृत्यु युद्धों में एवं बीमारियों के कारण हो जाया करती थी। यही कारण था कि राव जोधा का परिवार भी काफी बड़ा था।