29 मार्च 1415 : जोधा का जन्म (पं. विश्वेश्वर नाथ रेउ के अनुसार)
1 अप्रेल 1416 : जोधा का जन्म (गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार)
1427 ई. : राव रणमल के साथ सत्ता के विरुद्ध मण्डोर युद्ध में भागीदारी।
1433 ई. : राव रणमल के साथ, महाराणा मोकल की हत्या का बदला लेने के लिये किये गये मेवाड़ अभियान में भागीदारी।
1438 ई. : राव रणमल की हत्या हो जाने के बाद 700 साथियों सहित चित्तौड़ से पलायन। मेवाड़ पर महाराणा कुम्भा की सेना का अधिकार। जोधा की माता कोडमदे, कोडमदे तालाब के किनारे सती हुई।
1453 ई. : जोधा द्वारा कोसाना, चौकड़ी, मण्डोर एवं सोजत पर पुनः अधिकार। बड़े भाई अखैराज द्वारा अपने अंगूठे के रक्त से जोधा का राज्याभिषेक। कापरड़ा तथा रोहट पर अधिकार। नरबद का मण्डोर दुर्ग पर अधिकार। राव जोधा द्वारा नरबद को भगाकर पुनः मण्डोर पर अधिकार। राव जोधा द्वारा चित्तौड़ दुर्ग पर आक्रमण एवं सेठ पद्मचंद का अपहरण। महाराणा कुंभा तथा राव जोधा के बीच आंवळ-बांवळ की संधि। राव जोधा की पुत्री शृंगार देवी का महाराणा कुम्भा के पुत्र रायमल के साथ विवाह।
1458 ई. : सींधल राठौड़ों के 30 गांवों पर राव जोधा का अधिकार। राव जोधा का शास्त्रोक्त विधि से राज्याभिषेक। राव जोधा द्वारा मण्डोर के निकट जोधेलाव तालाब का निर्माण।
1504 ई. : राव जोधा की पुत्री शृंगार देवी द्वारा घोसुंडी गांव में पक्की बावली का निर्माण।
12 मई 1459 : करणी माता द्वारा मण्डोर से 6 मील दूर दक्षिण में चिड़ियानाथ की टूंक पर मेहरानगढ़ दुर्ग का शिलान्यास। सिंध से 65 पुष्करणा ब्राह्मण परिवारों का जोधा को आशीर्वाद देने के लिये आगमन तथा जोधपुर में स्थाई निवास। जोधा की हाड़ी रानी जसमादे द्वारा दुर्ग की तलहटी में रानी सागर तालाब का निर्माण। जोधा की सोनगरी रानी चांद कुंवरी द्वारा चांद बावड़ी का निर्माण। बलोचों द्वारा जांगलू के राजा नापा सांखला पर आक्रमण किये जाने पर राव जोधा द्वारा नापा की सहायता के लिये जांगलू की तरफ अभियान। जोधा द्वारा अपनी माता द्वारा बनवाये गये कोडमदेसर तालाब की प्रतिष्ठा तथा कीर्ति स्तम्भ की स्थापना।
1460 ई. : मण्डोर स्थित चामुण्डा विग्रह की मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थापना। चौकेलाव में राव जोधा का तिलक। राव जोधा द्वारा मेड़ता, फलौधी, पोकरण, भाद्राजून, सोजत, जैतारण, सिवाना, शिव, नागौर तथा मेवाड़ राज्य के गोड़वाड़ प्रदेश के कुछ भाग पर अधिकार।
1461 ई. : राव जोधा के आदेश पर उसके पुत्रों वरसिंह तथा दूदा द्वारा मेड़ता तथा उसके निकटवर्ती 360 गांवों पर अधिकार।
1462 ई. : राव जोधा द्वारा प्रयाग, काशी और गया तीर्थों की यात्रा। बहलोल लोदी से भेंट। जौनपुर के बादशाह से भेंट। ग्वालियर के निकट गढ़ियों को तोड़कर भोमियों को दण्ड। मेड़ता के दक्षिण में नई बस्ती की स्थापना।
1464 ई. : राव जोधा के बड़े पुत्र नींबा द्वारा बीसलपुर के स्वामी जैसा सींधल पर आक्रमण। घायल नींबा की पांच माह बाद मृत्यु। जोधा द्वारा सूजा की सोजत में नियुक्ति।
1464 ई. : छापर-द्रोणपुर के स्वामी एवं राव जोधा के जामाता मोहिल अजीतसिंह, द्वारा मारवाड़ राज्य में उपद्रव। जोधा द्वारा अजीतसिंह के विरुद्ध सैनिक अभियान, अजीतसिंह की मृत्यु।
1465 ई. : जोधा के दूसरे नम्बर के राजकुमार बीका द्वारा अपने चाचा कांधल और सांखला नापा आदि के साथ जांगलू की तरफ प्रस्थान एवं बीस वर्ष तक लगातार संघर्ष करके बीकानेर राज्य का निर्माण।
1485 ई. : राव बीका द्वारा नये दुर्ग का शिलान्यास तथा बीकानेर नगर की स्थापना।
1467 ई. : राव जोधा के राजकुमारों करमसी, रायपाल और वणवीर का नागौर के कायमखानी शासक फतनखाँ के पास पहुंचना। फतनखाँ द्वारा करमसी को खींवसर और रायपाल को आसोप की जागीर दिइया जाना। राव जोधा के निर्देश पर राजकुमारों द्वारा फतनखां द्वारा प्रदत्त जागीरों का त्याग तथा अपने बड़े भाई बीका के पास गमन। फतनखाँ द्वारा मारवाड़ के गांवों में उत्पात। राव जोधा द्वारा नागौर पर चढ़ाई एवं अधिकार। राव जोधा द्वारा करमसी को खींवसर और रायपाल को आसोप की जागीर का अधिकार।
1468 ई. : कुम्भा के राज्य लोभी ज्येष्ठ पुत्र ऊदा द्वारा महाराणा कुम्भा की हत्या एवं जोधा को अजमेर एवं सांभर का अधिकार।
1474 ई. : राव जोधा द्वारा छापर-द्रोणपुर पर आक्रमण। दिल्ली सल्तनत का सेनापति सारंग खां की पराजय एवं मृत्यु।
1475 ई. : राव जोधा द्वारा छापर-द्रोणपुर पर अधिकार करके जोगा को वहाँ का शासक नियुक्त किया जाना। जोगा के असफल रहने पर बीदा को छापर-द्रोणपुर का शासक नियुक्त किया जाना। जोधपुर एवं बीकानेर की संयुक्त सेनाओं द्वारा लाडनूं पर अधिकार। बीका द्वारा जोधा को लाडनूं भेंट किया जाना। जोधा द्वारा बीका को जोधपुर राज्य का उत्तराधिकार त्यागने का निर्देश।
1478 ई. : जोधा के निर्देश पर जोधा के चचेरे भाई वरजांग द्वारा जालोर के शासक उस्मान खाँ तथा सिरोही के रावल लाखा का दमन।
1486 ई. : आमेर नरेश चंद्रसेन द्वारा सांभर पर चढ़ाई। राव जोधा द्वारा सेना भेजकर सांभर की रक्षा। जैसलमेर के रावल देवीदास द्वारा शिव पर अधिकार। राव जोधा के निर्देश पर वरजांग द्वारा शिव पर पुनः अधिकार एवं भाटियों से दण्ड की वसूली।
16 अप्रेल 1488 : राव जोधा का निधन (पं. विश्वेश्वर नाथ रेउ के अनुसार)।
1489 : राव जोधा का निधन (गौरीशंकर हीराचंद ओझा एवं डॉ. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार)।