जालोर का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास, लेखक डॉ. मोहनलाल गुप्ता
द्वितीय संस्करण, 2022 प्रकाशित
जालोर जिले में तीन प्रमुख नगर हैं- जालोर, भीनमाल एवं सांचोर। इन तीनों नगरों का उल्लेख पुराणों में मिलता है। इससे पता चलता है कि इन नगरों की स्थापना उस समय हुई थी, जब धरती पर बहुत कम मानव-बस्तियां अस्तित्व में आई थीं। पौराणिक काल से लेकर चौदहवीं शताब्दी ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा जालोर दुर्ग को पराभूत किए जाने तक जालोर, भीनमाल एवं सांचोर नगर भारतीय संस्कृति के प्रमुख नगरों में स्थान रखते थे।
इन नगरों की महत्ता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि सातवीं शताब्दी ईस्वी में ह्वेनसांग जब भारत की यात्रा पर आया तब वह भीनमाल भी आया। आठवीं शताब्दी इस्वी में जालोर नगर के प्रतिहार शासकों ने अपना राज्य सिंध से लेकर बंगाल तक विस्तृत किया।
जालोर की महत्ता को देखते हुए गुप्तों, हूणों, गुर्जरों, चावड़ों, गुर्जर प्रतिहारों, परमारों, चौलुक्यों दहियों तथा सोनगरा चौहानों ने जालोर के किसी न किसी क्षेत्र पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से शासन किया। राठौड़ों के काल में जालोर जोधपुर रियासत की एक हुकूमत बनकर रह गया। इस कारण जब देश को आजादी मिली तो इतिहासकारों ने जालोर के इतिहास की उपेक्षा की।
जालोर के इसी वैभवशाली एवं समृद्ध इतिहास को भारत के इतिहास में समुचित स्थान दिलवाने एवं पाठकों को भारतीय इतिहास के इस उज्जवल पक्ष की जानकारी देने के लिए वर्ष 1995 में मैंने जालोर का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ को इतना अधिक महत्वपूर्ण माना गया कि राजस्थान के कई विश्वविद्यालयों में इस ग्रंथ को आधार बनाकर अनेक शोध प्रबंध लिखे गए।
यह ग्रंथ मेरे द्वारा रचित इतिहास का पहला ग्रंथ था। अब वर्ष 2022 में मैंने इस ग्रंथ का पुनर्लेखन करके इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित करवाया है जिसमें कुछ और शोध-सामग्री भी जोड़ दी गई है।
इस पुस्तक के प्रथम संस्करण में 244 पृष्ठ थे जबकि द्वितीय ग्रंथों में पृष्ठों की संख्या 384 हो गई है तथा पुस्तक का आकार भी डिमाई साइज (साढ़े पांच इंच गुणा साढ़े आठ इंच) से बढ़ाकर रॉयल साइज (छः इंच गुणा नौ इंच) कर दिया गया है।
पुस्तक के हार्ड बाउण्ड तथा पेपरबैक संस्करण प्रकाशित हुए हैं जो कि बिक्री हेतु अमेजन डॉट इन पर उपलब्ध हैं।