नागौर वासियों के लिए यह प्रश्न सदा से ही जटिल रहा है कि नागौर की स्थापना कब हुई। नागौर क्षेत्र में मानव अधिवास के प्रमाण प्रस्तर युग से मिलते है किंतु नगर के रूप में नागौर की स्थापना का कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है।
कुछ लोक किंवदन्तियां इसकी स्थापना त्रेता युग से जोड़ती हैं जो कि केवल कल्पना प्रतीत होती है। हिन्दु मान्यताओ के अनुसार त्रेता युग 12,96,000 वर्ष लम्बा था। उसके बाद 8,64,000 वर्ष लम्बा द्वापर आया। आज से लगभग 5300 वर्ष पहले कलियुग आया। भारत में कोई भी नगर लाखों वर्ष पुराना नहीं है।
त्रेता युग में जिस अयोध्या के अस्तित्व में होने की मान्यता है वहाँ से भी केवल 3700 वर्ष पुरानी सभ्यता मिली है तथा वैज्ञानिकों ने कार्बन डेटिंग के आधार पर रामसेतु की रचना आज से लगभग 7000 वर्ष पुरानी मानी है। अतः नागौर का सम्बन्ध त्रेता से जोड़ने का अथवा भगवान राम के काल में नागौर के अस्तित्व में होने का कोई प्राचीन प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
महाभारत काल में नागौर के अस्तित्व में होने के प्रमाण मिलते हैं तथा हिन्दू मान्यताएं भगवान कृष्ण का काल आज से लगभग 5300 वर्ष पुराना बताती हैं। जिन नागों ने नागौर का दुर्ग बनवाया, वे ईसा की तीसरी शताब्दी में इस क्षेत्र में आए। ऐसी स्थिति में यह कैसे कहा जा सकता है कि नागौर की स्थापना कब हुई!
लोक मान्यताओं के अनुसार नागौर की स्थापना अक्षय तृतीया को हुई थी। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए शुभ कार्य का क्षय नहीं होता। अतः इस बात की पर्याप्त संभावना है कि नागों ने इसी तिथि को नागौर दुर्ग की नींव रखी होगी।
यदि यह बात सही नहीं है तो भी नागौर दुर्ग के निर्माण से अक्षय तृतीय का किसी न किसी रूप में सम्बन्ध होने की प्रबल संभावना है। अतः इसी दिन को नागौर की स्थापना की प्रतीकात्मक तिथि माना जा सकता है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता