राजस्थान की नदियाँ राजस्थान में उपलब्ध जल संसाधन का सबसे बड़ा साधन हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण राजस्थान में जल संसाधन बहुत ही सीमित हैं।
देश का 10.41 प्रतिशत क्षेत्रफल, देश की 5.66 प्रतिशत जनसंख्या एवं 10.58 प्रतिशत पशुधन राजस्थान में उपलब्ध है और देश के 11 प्रतिशत भूभाग पर खेती राजस्थान में होती है किंतु देश में उपलब्ध जल का मात्र 1.16 प्रतिशत जल ही राजस्थान में उपलब्ध है।
राज्य में सबसे अधिक सतही जल चम्बल नदी में उपलब्ध है तथा बनास नदी का जलग्रहण क्षेत्र सबसे बड़ा है। राज्य की नदियों को 13 जलग्रहण क्षेत्र एवं 59 उपजल ग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। अरावली पर्वतमाला राज्य में जल विभाजक का कार्य करती है।
राजस्थान की अधिकांश नदियाँ प्रदेश के मध्य में स्थित अरावली पर्वत माला से निकल कर पश्चिम अथवा पूर्व की ओर बहती हैं। पश्चिम भाग की नदियाँ अरब सागर की ओर जाने वाले ढलान पर बहती हुई या तो खंभात की खाड़ी में गिरती हैं या विस्तृत मरु प्रदेश में विलीन हो जाती हैं। पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ एक दूसरे से मिलती हुई अंततः यमुना नदी में मिल जाती हैं।
प्रदेश के दक्षिणी-पूर्वी भाग में चम्बल तथा उसकी सहायक नदियाँ मुख्य रूप से प्रवाहित होती हैं। इनमें से अधिकांश नित्य प्रवाही नदियाँ हैं जबकि पश्चिमी राजस्थान में लूनी तथा उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं। इनमें से कोई भी नित्य प्रवाही नदी नहीं हैं। चम्बल, लूनी, बनास, माही, घग्घर, सोम तथा जाखम राजस्थान की प्रमुख नदियाँ हैं। राज्य की सर्वाधिक नदियाँ कोटा संभाग में बहती हैं।
राजस्थान की नदियाँ – प्रमुख नदियों का वर्गीकरण
1. | अरब सागर की ओर बहने वाली नदियाँ | लूणी, माही, सोम, जाखम, साबरमती एवं पश्चिमी बनास। ये नदियां अरब सागरीय अपवाह तंत्र का अंग हैं। |
2. | गंगा-यमुना दोआब की ओर बहने वाली नदियाँ | चम्बल, बनास, काली सिंध, कोठारी, खारी, मेजा, मोरेल, बाणगंगा और गंभीरी। ये नदियां बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र का अंग हैं। |
3. | आंतरिक अपवाह वाली नदियाँ | घग्घर, सोता-साहिबी, काकणी, मेढां, खण्डेल व कांटली नदी। |
राजस्थान की नदियाँ
चम्बल
चम्बल तथा लूनी राजस्थान की दो प्रमुख नदियाँ हैं। चम्बल नित्यप्रवाही प्रकृति की है जो मध्य प्रदेश में विन्ध्याचल पर्वत की जानापाव पहाड़ी से निकलकर 325 किमी मध्यप्रदेश में बहने के बाद चौरासीगढ़ के पास राजस्थान में प्रवेश करती है।
प्रदेश के कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली तथा धौलपुर जिलों में बहने के बाद चम्बल उत्तर प्रदेश में इटावा के पास यमुना में मिल जाती है। राजस्थान तथा मध्यप्रदेश के बीच चम्बल 241 किमी लम्बी सीमा बनाती है। चम्बल का प्राचीन नाम चर्मण्यवती है। इसे कामधेनु भी कहते हैं। इसकी कुल लम्बाई 960 किमी है।
इस नदी पर गांधी सागर (मध्यप्रदेश), राणाप्रताप सागर (चित्तौड़गढ़) तथा जवाहर सागर (कोटा) बांध बने हैं जिनका प्रदेश के विकास में प्रमुख योगदान है। बनास, बेड़च, गंभीरी, कोठारी, खारी, मैनाली, मानसी, कुराल, बांडी, मोरेल, कालीसिंध, निवाज, परवन, आहू तथा पार्वती चम्बल की सहायक नदियाँ हैं।
चम्बल पर दो जल प्रपात- चूलिया (18 मीटर) तथा मधार (12 मीटर) हैं जिनकी गिनती भारत के प्रमुख जल प्रपातों में होती है।
लूनी: लूनी नदी अजमेर के समीप पुष्कर क्षेत्र में स्थित नाग पहाड़ से निकलकर नागौर, जोधपुर, बाड़मेर तथा जालोर जिलों में बहती हुई कच्छ के रण में झील की तरह फैल जाती है।
यह अरावली से निकलकर पश्चिम की ओर बहने वाली राजस्थान की एकमात्र नदी है। इस नदी की कुल लम्बाई 320 किलोमीटर है। जब पुष्कर की पहाड़ियों में अधिक वर्षा होती है तो लूनी नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे जोधपुर और जालोर जिले के कुछ गाँव तथा बाड़मेर जिले का बालोतरा कस्बा प्रभावित होते हैं।
बाड़मेर तथा जालोर जिले में इस नदी के चौड़े क्षेत्र में फैल जाने के कारण स्थान-स्थान पर अस्थायी झीलें बन जाती हैं जो सर्दियों के आने तक सूख जाती हैं। उस क्षेत्र में किसान रबी की फसलों के बीज बिखेर देते हैं जिसे सेवज कहते हैं।
संस्कृत साहित्य में इस नदी का लवणाद्रि तथा लवणावरी के नाम से उल्लेख मिलता है। वस्तुतः वैदिक काल की सरस्वती नदी के क्षेत्र में बहने वाली यह नदी सरस्वती की प्रमुख सहायक नदी जान पड़ती है। सरस्वती अब भूगर्भा है। लूनी की सहायक नदियाँ सूकड़ी, लीलड़ी, जोजरी, जवाई, बाण्डी, मीठड़ी व सगाई आदि हैं।
बनास
इसे वन की आशा भी कहते हैं। यह नदी राजसमंद जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों में कुंभलगढ़ के निकट खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। इसमें वर्षा ऋतु के अधिकांश दिनों में जल प्रवाहित होता है।
यह अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर एवं टौंक जिलों में लगभग 512 किलोमीटर बहने के बाद सवाईमाधोपुर के निकट चम्बल नदी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियों में बेड़च, कोठारी, मान्सी, खारी, मुरेल व धुंध आदि हैं। राज्य में बहने वाली यह सबसे लम्बी नदी है।
पश्चिमी बनास
यह नदी सिरोही जिले में अरावली पर्वतमाला से निकलकर गुजरात में बहती हुई कच्छ की खाड़ी में गिरती है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 3000 वर्ग किलोमीटर है।
माही
यह नदी मध्य प्रदेश के धार जिले में विंध्याचल पर्वत के आममाऊ नामक स्थल से निकलती है तथा खांदू गाँव के निकट राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में प्रवेश करती है। बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में बहने के बाद यह गुजरात में प्रवेश कर जाती है और लगभग 576 किलोमीटर बहने के बाद खंभात की खाड़ी में गिर जाती है।
इस नदी पर बांसवाड़ा जिले में माही बजाज सागर बांध बनाया गया है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में सोम, जाखम, अनास, चाप तथा मोरेन आदि हैं। माही नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है। इसे वागड़ की गंगा भी कहते हैं।
कालीसिंध
यह नदी चंबल की सहायक नदी है जो मध्यप्रदेश में देवास की पहाड़ियों में से निकलती है। यह झालावाड़ और बारां जिलों में बहती है। इसके बाद नानेड़ा कस्बे के समीप चम्बल में मिल जाती है।
घग्घर
घग्घर नदी श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों की प्रमुख नदी है जो वर्षा ऋतु में विशाल रूप धारण कर लेती है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर देती है। यह शिमला के निकट कालका की पहाड़ियों से निकलती है तथा हरियाणा में बहती हुई हनुमानगढ़ के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है।
किसी समय यह नदी जब उफान पर होती थी तो तलवाड़ा, अनूपगढ़ और सूरतगढ़ होती हुई, भारत पाक सीमा को पार करके पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में चली जाती थी और वहाँ रेत के टीलों में लुप्त हो जाती थी। अब तो यह नदी हनुमानगढ़ से कुछ ही आगे तक बढ़ पाती है।घग्घर नदी की कुल लम्बाई 465 किलोमीटर है। हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के पाट को नाली कहते हैं।
बाणगंगा
बाणगंगा जयपुर जिले में बैराठ की पहाड़ियों से निकलती है तथा रामगढ़, दौसा व बसवा में लगभग 164 किलोमीटर बहने के बाद भरतपुर जिले की पश्चिमी सीमा से वैर तहसील में बहती हुई उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में प्रवेश कर जाती है जहाँ यह यमुना नदी में प्रवेश कर जाती है। बाणगंगा नदी से दो नहरें उचैनी और पथेना निकाली गयी हैं। भरतपुर नगर में इस नदी से पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
सुकैल
यह नदी जालोर के पर्वतीय भाग से निकलकर गुजरात में कच्छ की खाड़ी में गिरती है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 1940 वर्ग किलोमीटर है।
जाखम
यह माही की सहायक नदी है जो छोटी सादड़ी से निकलकर प्रतापगढ़ में बहती हुई धरियावाद तहसील में सोम नदी में जा मिलती है। इस पर जाखम बांध बनाया गया है।
बेड़च
इसे आयड़ भी कहते हैं। यह उदयपुर जिले की गोगुंदा पहाड़ी से निकलती है।
सोम
यह नदी बीछा मेड़ा (उदयपुर) से निकलती है। यह माही की सहायक नदी है।
अन्य नदियाँ
उपरोक्त नदियों के अतिरिक्त साबरमती, काकनेय, कांटली, साबी, मन्था, पार्वती तथा सरस्वती आदि नदियाँ भी प्रदेश में प्रवाहित होती हैं।
राजस्थान की नदियाँ – जिलेवार स्थिति
1. | अजमेर | सागरमती, सरस्वती, लूणी, खारी, डाई, बनास। |
2. | अलवर | साबी, रूपारेल, सोटा, चूहड़, सिंध, काली, गौरी। |
3. | उदयपुर | बेढ़च, वाकल, सोम, जाखम, साबरमती, गोमती, कोठारी, बनास। |
4. | करौली | चम्बल, बनास, गंभीरी। |
5. | कोटा | चम्बल, कालीसिंध, पार्वती, आहू, परबन, निवाज, अंधेरी। |
6. | चित्तौड़गढ़ | चम्बल, बनास, बेढ़च, बामणी, गंभीरी, औराई, जाखम। |
7. | जयपुर | बाणगंगा, बांडी, ढूंढ, मोरेल, साबी, डाई, मासी। |
8. | जालोर | जवाई, बाण्डी, लूणी, खारी, सागी, सूकड़ी। |
9. | जैसलमेर | काकनेय, लाठी, धोगड़ी। |
10. | जोधपुर | लूनी, मीठड़ी, जोजरी, गुणाईमाता। |
11. | झालावाड़ | कालीसिंध, आहू, निवाज, पिपलाज, घोड़ा पछाड़, चंद्रभागा, क्यासरी, परबन, अंधेरी। |
12. | झुंझुनूं | कांटली। |
13. | टोंक | बनास, मासी, बांडी, सोहदरा। |
14. | डूंगरपुर | सोम, जाखम, माही। |
15. | दौसा | मोरेल, बाणगंगा, सनवान। |
16. | धौलपुर | चंबल, गंभीरी, पार्वती। |
17. | नागौर | लूणी, हरसौर। |
18. | पाली | लीलड़ी, सूकड़ी, जवाई, बाण्डी। |
19. | प्रतापगढ़ | जाखम, औराई, रेतम, सिवना तथा करमोई। |
20. | बाड़मेर | सूकड़ी, लूणी, मीठड़ी। |
21. | बारां | परबन पारबती। |
22. | बांसवाड़ा | माही, अन्नास, चैनी। |
23. | बूंदी | घोड़ा पछाड़, कुराल, चम्बल, मंगली, मेज। |
24. | भरतपुर | बाणगंगा, गंभीरी, रूपारेल, पार्वती, काकुंड। |
25. | भीलवाड़ा | बनास, बेड़च, कोठारी, खारी, चंद्रभागा, मैनाली, मानसी। |
26. | राजसमंद | बनास, चंद्रभागा। |
27. | सवाईमाधोपुर | चंबल, बनास, गंभीरी, मोरेल। |
28. | सिरोही | सूकड़ी, जवाई, खारी, कपालगंगा, बांडी, कृष्णावती, पश्चिमी बनास। |
29. | सीकर | कृष्णावती, कांतली, साबी, सोटा, मंथा। |
30. | श्रीगंगानगर | घग्घर। |
31. | हनुमानगढ़ | घग्घर। |
बीकानेर और चूरू जिलों में कोई नदी नहीं बहती। राज्य में संभाग स्तर पर सर्वाधिक नदियाँ कोटा संभाग में तथा जिला स्तर पर सर्वाधिक नदियाँ चित्तौड़गढ़ जिले में हैं।
राजस्थान की नदियाँ – प्रमुख नदियों के उद्गम स्थल
चम्बल | जनापाव पहाड़ी, महू (मध्यप्रदेश)। |
बनास | खमनौर की पहाड़ियाँ, कुंभलगढ़ (राजसमंद जिला)। |
लूणी | नाग पहाड़, अरावली पर्वत (अजमेर जिला)। |
माही नदी | विंध्याचल पहाड़ियाँ, झाबुआ (मध्यप्रदेश)। |
पार्वती नदी | विंध्याचल पर्वत (मध्यप्रदेश)। |
कालीसिंध नदी | वागली गाँव, देवास (मध्यप्रदेश)। |
घग्घर नदी | कालका की पहाड़ियाँ, शिमला (हिमाचल प्रदेश)। |
बाणगंगा नदी | बैराठ की पहाड़ियाँ (जयपुर जिला)। |
साबरमती नदी | पदराड़ा की पहाड़ियाँ, कुंभलगढ़ (उदयपुर जिला)। |
कोठारी नदी | देवास, उदयपुर। |
काकनी नदी | कोटरी की पहाड़ियाँ, जैसलमेर। |
कांतली नदी | खण्डेला पहाड़ियाँ, सीकर। |
बेड़च नदी | गोगुंदा की पहाड़ियाँ, उदयपुर। |
सोम नदी | बीछामेड़ा, उदयपुर। |
जाखम नदी | छोटी सादड़ी के निकट भंवरमाता की पहाड़ियों से। |
राजस्थान की नदियाँ – प्रमुख नदियों की लम्बाई
1. | चम्बल | 966 किलोमीटर। |
2. | बनास | 480 (पूर्णतः राज्य में बहाव) |
3. | माही | 576 किलोमीटर। |
4. | घग्घर | 465 किलोमीटर। |
5. | बाणगंगा | 380 किलोमीटर। |
6. | लूणी | 320 किलोमीटर। |
7. | कालीसिंध | 278 किलोमीटर। |
8. | बेड़च | 190 किलोमीटर। |
9. | कोठारी | 145 किलोमीटर। |
राज्य की नदियों के तट पर स्थित नगर
1. | भीलवाड़ा | कोठारी |
2. | नाथद्वारा | बनास |
3. | सुमेरपुर | जवाई |
4. | बालोतरा | लूणी |
5. | पाली | बांडी |
6. | सूरतगढ़ | घग्घर |
7. | शिवगंज | जवाई |
8. | जालोर | सूकड़ी |
9. | टोंक | बनास |
10. | अनूपगढ़ | घग्घर |
11. | विजयनगर | खारी |
12. | झालावाड़ | कालीसिंध |
13. | हनुमानगढ़ | घग्घर |
14. | सवाईमाधोपुर | बनास |
15. | गुलाबपुरा | खारी |
16. | कोटा | चम्बल। |
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता