टॉडगढ़ अंग्रेजों के समय में मेरवाड़ा क्षेत्र में स्थित था। वर्तमान समय में टॉडगढ़ अजमेर संभाग के ब्यावर जिले की टाटगढ़ तहसील में स्थित है।
ई.1818 में कर्नल जेम्स टॉड पश्चिमी राजपूताना में पॉलिटिकल एजेंट बनकर आया। उसने मेवाड़ राज्य का इतना सुंदर प्रबंध किया कि ई.1819 में महाराणा भीमसिंह ने उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिये मेरवाड़ा क्षेत्र में स्थित बोरसावड़ा नामक गांव का नाम बदल कर टॉडगढ़ कर दिया।
उन दिनों इस क्षेत्र मेरों का भारी उपद्रव रहता था। कर्नल टॉड ने मेवाड़ तथा जोधपुर राज्यों से मेरों के क्षेत्र लेकर मेरवाड़ा नामक एक अलग प्रांत का गठन किया तथा उसके केन्द्र में स्थित टॉडगढ़ में एक छोटा दुर्ग बनवाकर उसमें एक सैनिक टुकड़ी नियुक्त की जो न केवल मेरों को नियंत्रित करे अपितु राजस्व की वसूली भी करे।
ई.1911 की असफल क्रांति के नायक राव गोपालसिंह खरवा तथा विजयसिंह पथिक को उनके साथियों सहित इसी दुर्ग में बंद करके रखा गया था। कुछ समय बाद गोपालसिंह खरवा यहाँ से फरार हो गये।
टॉडगढ़ में प्रतिवर्ष यूरोपीय देशों से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।