गोगेलाव ओसवाल महाजनों का गांव है। यह गोगाजी तथा जाहिर पीर के नाम से विख्यात लोकदेवता गोगाजी चौहान के नाम पर बसा हुआ है। मान्यता है कि गोगेलाव में गोगाजी की बारात ठहरी थी। गोगाजी चौहान किसी मुसलमान आक्रांता की सेना से गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। राजस्थान में गोगाजी के थान गांव-गांव में बने हुए हैं।
इस गांव में लगभग 150 द्वार बने हुए हैं जो पोल कहलाते हैं। कई द्वार पत्थर पर खुदाई करके बहुत सुन्दर बनाये गये हैं। ओसवालों की पुरानी हवेलियां भी काफी बड़ी एवं सुन्दर हैं।
किशनलाल कांकरिया की हवेली के बाहर की सज्जा आकर्षक है। हवेली के सामने भगवान कुन्तुनाथ का भव्य मंदिर है। इस गांव के ओसवाल कलकत्ता, मद्रास तथा अन्य बड़े शहरों में व्यापार करते हैं तथा वहीं बस गये हैं। कुछ परिवार अमरीका, दुबई, जर्मनी तथा ईरान आदि देशों में व्यापार करने चले गये हैं। गोगेलाव के सेठ किशनलाल कांकरिया ने नागौर में सीनियर हायर सैकेण्डरी स्कूल का निर्माण करवाया।
गांव में स्थित करणी माता के मंदिर की बड़ी मान्यता है। यहाँ दूर-दूर के लोग दर्शनों के लिए आते हैं। कहते हैं इस मूर्ति ने धरती से प्रकट होकर काला पहाड़ नामक डाकू से गायों को छुड़ाया था। काला पहाड़ नामक एक बंगाली मुस्लिम सेनापति भी था जिसका उल्लेख मुगल सल्तनत के समय में मिलता है। उसने उड़ीसा के कोणार्क मंदिर तथा पुरी के जगन्नाथ मंदिर को तोड़ा था किंतु वह काला पहाड़ तथा राजपूताने के काला पहाड़ दो अलग-अलग व्यक्ति थे।
गांव के बाहर कुछ स्मृतिस्तंभ हैं जिन पर मूर्तियां तथा लेख उत्कीर्ण हैं। इन लेखों को अब पढ़ा नहीं जा सकता। गोगेलाव गांव का तालाब बहुत सुंदर है तथा देखते ही बनता है।
-इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।



