नागौर जिले के विभाजन के बाद खींवसर उपखण्ड नागौर जिले में ही रहा। खींवसर उपखण्ड में 96 गांव हैं। खींवसर उपखण्ड की भूमि अपेक्षाकृत रेतीली है। कुछ गांवों में तो बड़े-बड़े रेतीले टीले पसरे हुए हैं। देशी-विदेशी पर्यटक इन रेगिस्तानी टीलों में ऊंटों की सवारी करने आते हैं।
खींवसर उपखण्ड के गांवों की सूची
| क्रम | गांव/कस्बा | क्रम | गांव/कस्बा | क्रम | गांव/कस्बा |
| 1 | खींवसर | 2 | गोधन | 3 | शिवपुरा |
| 4 | भादूओं की ढाणी | 5 | पांचलासिद्धा | 6 | बेराथलकलां |
| 7 | आकला | 8 | विश्नोईयों की ढाणी | 9 | बेराथल खुर्द |
| 10 | हमीराणा | 11 | थांबड़िया | 12 | जगरामपुरा |
| 13 | महेशपुरा | 14 | मगराबास | 15 | बिरलोका |
| 16 | कांटिया | 17 | सैनिक नगर | 18 | हेमपुरा |
| 19 | मगरेवाली ढाणियां | 20 | पीपलिया | 21 | जसनाथपुरा |
| 22 | जोगीनाड़ा | 23 | सावों की ढाणी | 24 | गुलासर |
| 25 | पांचोड़ी | 26 | माधाणियों की ढाणी | 27 | पापासनी |
| 28 | रावों की ढाणी | 29 | आचीणा | 30 | कुड़छी |
| 31 | शिवनाड़ा | 32 | हैसाबा | 33 | गोदारों की ढाणी |
| 34 | नाहरसिंह पुरा | 35 | नारवा कलां | 36 | बरबटा |
| 37 | भोमासर | 38 | नारवा खुर्द | 39 | अखासर |
| 40 | रामसर | 41 | हनुमाननगर | 42 | ईशरनावड़ा |
| 43 | सिंधिपुरा | 44 | लूणावास | 45 | खटोड़ा |
| 46 | रामदेव नगर | 47 | अखावास | 48 | हनुमानसागर |
| 49 | देऊ | 50 | गुड़ा भगवानदास | 51 | तांतवास |
| 52 | करणू | 53 | साटिका खुर्द | 54 | साटिका कलां |
| 55 | भूण्डेल | 56 | दांतीणा | 57 | लालावास |
| 58 | सुखोलाव | 59 | बामणियाला | 60 | धारणावास |
| 61 | अणदोलाव | 62 | भोजास | 63 | चिंदड़ी |
| 64 | श्रीयादेनगर | 65 | झाड़ेली | 66 | ताडावास |
| 67 | निम्बोला | 68 | सोननगर | 69 | बेरावास |
| 70 | देवीसागर | 71 | पाबूसर | 72 | खोड़वा |
| 73 | नेणाऊ | 74 | धोलियाडेर | 75 | हरिपुरा |
| 76 | जसवंतनगर | 77 | मोतीनाथपुरा | 78 | नागड़ी |
| 79 | ढींगसरा | 80 | अभयनगर | 81 | खुण्डाला |
| 82 | दूजासर | 83 | चरड़ा | 84 | चावंडिया |
| 85 | खड़काली | 86 | भेड़ | 87 | नयापुरा |
| 88 | चारणीसरा | 89 | नंदवाणी | 90 | रुपनगर |
| 91 | गलनी | 92 | माडपुरा | 93 | भावण्डा |
| 94 | पचारों एवं बिच्छुओं की ढाणी | 95 | गुड़ा भगवानदास खुर्द | 96 | बेनीवालों की ढाणी |
खींवसर उपखण्ड के दो ऐतिहासिक गांव
खींवसर उपखण्ड के कुछ गांव अलग-अलग ब्लॉग के रूप में इसी वैबसाइट पर उपलब्ध हैं। यहाँ दो गांवों का संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है।
सोन नगर
नागौर जिले की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर स्थित खींवसर उपखण्ड में है। यह गांव विदेशी पर्यटकों का आकर्षण स्थल है। खींवसर पैलेस से विदेशी पर्यटक यहाँ लाये जाते हैं। गांव में बनी झोपड़ियों में पर्यटक एक या दो रात ठहरते हैं तथा मरुस्थल की जीवन शैली का आनन्द उठाते हैं।
गांव में एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें रेगिस्तानी जन-जीवन से सम्बन्धित सामग्री संग्रहीत की गई है। गांव में रहने वाले नायक, कालबेलिया तथा जोगी स्त्री-पुरुष पर्यटकों का अपने परम्परागत नृत्यों से मनोरंजन करते हैं। यहाँ के चर्मकार ऊंटों एवं घोड़ों के लिए कलात्मक जीन बनाते हैं।
पांचला सिद्धा
खींवसर उपखण्ड में है। पांचला सिद्धा पांचला सिद्धा तथा सोवां की ढाणी जसनाथी संप्रदाय के सिद्धों के लिए प्रसिद्ध है। इन गांवों में सोवां जाति के सिद्ध रहते हैं जो जलते हुए अंगारों पर नृत्य करते हैं तथा मुंह से आग निकालते हैं। अग्नि नृत्य जसनाथियों के रात्रि जागरण का हिस्सा होते हैं।
जसनाथजी महाराज की बसाई हुई बाड़ी पूजा स्थल के रूप में प्रयुक्त होती है। इस गांव के सिद्ध पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। इस गांव के आसपास हिरण, नीलगाय, खरगोश तथा रंग-बिरंगे पक्षी बड़ी संख्या में हैं।
-इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।



