सिरोही दुर्ग राजस्थान के सिरोही जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण पंद्रहवीं शताब्दी ईस्वी में देवड़ा राजाओं ने करवाया था।
सिरोही दुर्ग के निर्माता
जालोर के सोनगरा चौहानों की देवड़ा शाखा के एक राजकुमार ने ई.1311 में परमारों से आबू तथा चंद्रावती छीनकर अपने अधीन कर लिये। देवड़ा शाखा में उत्पन्न शिवभान के पुत्र सहसमल ने ई.1425 में सिरोही का दुर्ग तथा राजप्रासाद बनवाये। लाखा अखैराज (द्वितीय) तथा अन्य राजाओं ने भी इस दुर्ग में अनेक निर्माण करवाये।
दुर्ग का स्थापत्य
दुर्ग का मुख्य द्वार गणेश पोल कहलाता है जिसमें आदि विनायक गणेशजी प्रतिष्ठित हैं। इसके बाईं ओर विशाल अश्वशाला स्थित है। पहले दाईं ओर भी एक अश्वशाला बनी हुई थी जिसे अब हटा दिया गया है। एक कुआं तथा घण्टा भी मौजूद है। द्वार के ऊपर नक्कार खाना बना हुआ है। दुर्ग दो परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें सात खण्ड का राजप्रासाद स्थित है। इनके चार खण्ड भूमिगत तथा तीन खण्ड धरती से ऊपर हैं।
आगे जाने पर सिंहद्वार आता है जिसके बाहर पुरानी तोपें पड़ी हुई हैं। यहाँ से बायीं ओर स्थित सीढियां एक भूमिगत जल स्रोत तक जाती हैं जिसके निकट देवड़ा कुल के देवी-देवताओं का मन्दिर है। इस मन्दिर के ठीक सामने की ओर चार स्तम्भों पर टिकी कांच की जड़ाऊ एवं सुनहरे कलशों वाली गुम्बदाकार छतरी है।
इस छतरी के नीचे सिरोही के राजाओं का राज्याभिषेक होता था। मन्दिर के बाहर लगभग तीस फुट लम्बा पुलनुमा मार्ग है जो दीवाने खास, मुख्य महल तथा फूल गौख की ओर जाता है। दीवाने खास का झरोखा, संगमरमर की बारीक जालियों से अंलकृत है। दीवारों में बनी सुन्दर कलाकृतियों में जड़ाऊ कांच, रंगीन तथा सुनहरी चित्रकारी, रंगीन कांच जड़ित जालियां, खिड़कियां एवं द्वार, कलात्मक और भव्य सिंहासन इस राजप्रासाद की सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं।
जनाना महलों में प्रवेश हेतु दो बड़ी पोलों से निकलना होता है। प्रथम पोल में प्रवेश करते ही दाईं ओर एक प्राचीन रथ रखा हुआ है जो चार घोड़ों से खींचा जाता था। किसी समय इस रथ पर चांदी से निर्मित राज्यचिह्न अंकित था। जनाना महलों में अखैरज (द्वितीय) के समय की सुंदर चित्रकारी है जिनमें श्रीकृष्ण-लीला, शिव-दरबार आदि चित्रित हैं। जनाना महल के मध्य खुले भाग में नहाने का कुण्ड तथा उद्यान स्थित हैं। झाली रानी का महल, पाताल स्थित एक खंभा महल तथा फूल गौख आदि देखने वालों को बरबस ही आकर्षित कर लेते हैं।
सिरोही दुर्ग की वर्तमान स्थिति
सिरोही दुर्ग आज भी बहुत अच्छी स्थिति में है।