रोहट दुर्ग
जोधपुर-पाली मार्ग पर जोधपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित रोहट में रियासती काल में रोहतास दुर्ग बना हुआ था जो लूनी नदी के किनारे स्थित था। रोहतास ही अब रोहट दुर्ग कहलाता है।
जब औरंगजेब का पुत्र अकबर अपने पिता से बगावत करने के बाद असफल होकर भारत से ईरान चला गया तब वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की पौत्री शहजादी सफीयतउन्निसा को रोहट दुर्ग में रखा था। महाराजा अजीतसिंह शहजादी के रूप माधुर्य में विगलित होकर उससे विवाह करना चाहता था किन्तु क्षत्रिय धर्म पर टेक रखने की सलाह देते हुए दुर्गादास ने उसे ऐसा नहीं करने दिया तथा औरंगजेब से संधि करके सफीयतउन्निसा को औरंगजेब के पास दिल्ली भेज दिया।
मारवाड़ में मान्यता है कि इसी कारण अजीतसिंह के मन में वीरवर दुर्गादास के प्रति तभी से खटास उत्पन्न हुई। जब अजीतसिंह जोधपुर का राजा बन गया, तब इसी खटास के कारण दुर्गादास जोधपुर राज्य छोड़कर मेवाड़ राज्य में चले गए।
मारवाड़ में यह माना जाता है कि महाराजा अजीतसिंह ने वीर दुर्गादास के मारवाड़ राज्य से निष्कासित किया था किंतु यह बात सही प्रतीत नहीं होती। वीर दुर्गादास तो अजीतसिंह के स्वभाव को देखते हुए स्वयं ही जोधपुर राज्य से चले गए।
कुछ चारण कवियों ने इस तरह की कविताएं लिखीं जिनसे दुर्गादास के निष्कासन की मान्यता को बल मिला-
इण घर आही रीत, दुर्गो देसां काढियो।
देसूरी दुर्ग
पाली जिले में सादड़ी से लगभग 16 किलोमीटर दूर 500 वर्ष पुराना दुर्ग है जो मांगलिया राजपूतों द्वारा बनाया गया।
सेवाड़ी दुर्ग
पाली जिले में सेवाड़ी गांव से बाहर अटेरगढ़ नामक एक प्राचीन दुर्ग के अवशेष स्थित हैं। यह दुर्ग कब एवं किसने बनवाया, इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता