Monday, March 10, 2025
spot_img

नाडौल का दुर्ग, जयकल दुर्ग

नाडौल का दुर्ग किसने और कब बनवाया था, इसके बारे में अब कोई इतिहास नहीं मिलता किंतु अनुमान होता है कि नाडोल के चौहान शासकों ने ही इस दुर्ग का निर्माण करवाया था। अब दुर्ग के अवशेष ही बचे हैं जिन्हें पहचानना भी कठिन है।

अजमेर के चौहान शासकों की एक शाखा किसी काल में नाडोल चली आई तथा उन्होंने नाडौल को राजधानी बनाकर लम्बे समय तक नाडोल तथा उसके आसपास के क्षेत्र पर शासन किया। नाडोल के चौहान शासक शैव थे किंतु उन्होंने वैष्णव मंदिरों तथा जैन मंदिरों को भूमि एवं धन प्रदान किए ताकि इस क्षेत्र में सांस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियों का प्रसार हो।

नाडोल कस्बे में नीलकंठ महादेव मंदिर के पीछे नाडोल दुर्ग के नाम मात्र के अवशेष स्थित हैं। जब महमूद गजनवी अफगानिस्तान से चलकर थार का रेगिस्तान पार करके अन्हिलवाड़ा तथा सोमनाथ को लूटने के लिये जा रहा था, तब उसने मार्ग में नाडौल का दुर्ग तोड़ा। बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस दुर्ग को नष्ट कर दिया।

जालोर के सोनगरा चौहान तथा आबू के देवड़ा चौहान वस्तुतः नाडोल के चौहानों में से ही निकले थे। उन्होंने जालोर तथा आबू में बड़े-बड़े दुर्ग बनवाए, इस कारण नाडोल के दुर्ग की महत्ता समाप्त हो गई थी। बाद के काल में तो नाडौल का दुर्ग भी जालोर के चौहानों के अधीन हो गया था।

जयकल दुर्ग

पाली जिले के नारलाई गांव के पूर्व में सोनगरा चौहानों द्वारा जयकल दुर्ग बनवाया गया। इस दुर्ग में कुछ प्राचीन अवशेष तथा आदिनाथ जैन मंदिर स्थित है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source