नागौर जिले में 856 गांव हैं जिन्हें राजस्व प्रशासन की दृष्टि से उपखण्डों, तहसीलों, उपतहसीलों एवं राजस्व निरीक्षक वृत्तों में विभक्त किया गया है। ग्रामीण विकास के लिए गांवों को पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों में नियोजित किया गया है। नागौर उपखण्ड में 200 गांव हैं।
नागौर उपखण्ड के गांव
नागौर उपखण्ड के गांवों की सूची इस प्रकार से है-
| क्रम | गांव/नगर | क्रम | गांव | क्रम | गांव | क्रम | गांव |
| 1 | नागौर | 51 | नयागांव | 101 | सिणोद | 151 | संखवास |
| 2 | नकास | 52 | कूकणों की ढाणी | 102 | बूढी | 152 | मोड़ी |
| 3 | मानासर | 53 | धूधवालों की ढाणी | 103 | चकबूढी | 153 | खेड़ा धांधलावास |
| 4 | इन्दास | 54 | बाडाणी | 104 | गंठिलासर | 154 | कड़लू |
| 5 | दुकोसी | 55 | भदवासी | 105 | खेतास | 155 | खुड़खुड़ा खुर्द |
| 6 | गंदीला बासनी | 56 | रातड़ी | 106 | ऊंटवालिया | 156 | खुड़खुड़ा कलां |
| 7 | कुड़िया बासनी | 57 | कालड़ी | 107 | सुभाषपुरा | 157 | भदोरा |
| 8 | राजूवास | 58 | थलाजू | 108 | घोड़ारण | 158 | धुंधियाड़ी |
| 9 | सिंघाणी | 59 | डेरवा | 109 | सारणपुरा | 159 | माणकपुर |
| 10 | चैनार | 60 | जाखनिया | 110 | मोलाभाखरी | 160 | कालियास |
| 11 | अठियासन | 61 | करमसोता | 111 | मकोड़ी | 161 | खरनाल |
| 12 | ताऊसर | 62 | सुखवासी | 112 | बालासर | 162 | पारासरा |
| 13 | रामसिया | 63 | गोगेलाव | 113 | ढाकोरिया | 163 | चिमरानी |
| 14 | चुगावास | 64 | चूंटीसरा | 114 | ढूंढिया | 164 | बलाया |
| 15 | नब्बावास | 65 | मालगांव | 115 | पीलनवासी | 165 | अमंडा |
| 16 | गुर्जर खेड़ा | 66 | जबरासी | 116 | रोहिणी | 166 | बींठवाल |
| 17 | रामनाडिया | 67 | सींगड़ | 117 | बीरमसर | 167 | मुंदियाड़ |
| 18 | रतनसागर | 68 | गोगानाड़ा | 118 | भदाणा | 168 | पालड़ीव्यासा |
| 19 | अतुसर | 69 | बालवा | 119 | सालवा | 169 | फिड़ोद |
| 20 | कुमारी | 70 | कृष्णपुरा | 120 | जिन्दास | 170 | ढूंढिवास |
| 21 | गोवा खुर्द | 71 | सारणवास | 121 | हरिमा | 171 | पीथोलाव |
| 22 | बासनी बेलीमा | 72 | सलेऊ | 122 | सरासनी | 172 | शीलगांव |
| 23 | भवाद | 73 | मदफरास | 123 | पिथासिया | 173 | मेड़ास |
| 24 | जोशियाद | 74 | चक घिसनियाडेर | 124 | अमरपुरा | 174 | जोधड़ास |
| 25 | लूणदा | 75 | श्रीबालाजी | 125 | फागली | 175 | गोवा कंला |
| 26 | रायधनु | 76 | खारिया | 126 | बांसड़ा | 176 | जोरावरपुरा |
| 27 | पोटलियामांजरा | 77 | नथानाडा | 127 | गुड़ला | 177 | गुड़िया |
| 28 | शिवपुरा | 78 | करनेतपुरा | 128 | गगवाना | 178 | गिरावंडी |
| 29 | चातरामांजरा | 79 | हनुमान नगर | 129 | साडोकण | 179 | डेहरु |
| 30 | जोधियासी | 80 | पीपासर | 130 | खेतोलाव | 180 | लालाप |
| 31 | तीतरी | 81 | सेवड़ी | 131 | सुरजनियावास | 181 | रुण |
| 32 | मांडेली | 82 | छीला | 132 | आशापुरा | 182 | इंदोकली |
| 33 | हिंगोणिया | 83 | बू-कर्मसोता | 133 | मूण्डवा | 183 | असावरी |
| 34 | कितलसर | 84 | सथेरण | 134 | ईनाणा | 184 | धवा |
| 35 | झाड़ीसरा | 85 | पाडाण | 135 | खैण | 185 | चिताणी |
| 36 | झठेरा | 86 | सुरजाना | 136 | रुपासर | 186 | धींगावास |
| 37 | मांजवास | 87 | पाबूथल | 137 | अच्छूताई | 187 | सैनणी |
| 38 | जीवनबेरा | 88 | मुण्डासर | 138 | थिरोद | 188 | दियावड़ी |
| 39 | जांजेालाई | 89 | फतेहसर | 139 | खारड़ा | 189 | कंकड़ाय |
| 40 | कंवलीसर | 90 | चेनासर | 140 | सोलियाना | 190 | हिलोड़ी |
| 41 | चाऊ | 91 | पीथोलाई | 141 | भडाणा | 191 | गोलासनी |
| 42 | सुराणा | 92 | शिवपुरा | 142 | खजवाना | 192 | भटनोखा |
| 43 | पेरावा | 93 | भाकरोद | 143 | ग्वालू | 193 | कुचेरा |
| 44 | गोलसर | 94 | अहमदपुरा | 144 | झूझण्डा | 194 | गोठड़ा |
| 45 | झोरड़ा | 95 | बरणगांव | 145 | पालड़ी पिचकिया | 195 | फिरोजपुरा चाारणा |
| 46 | श्यामसर | 96 | बसवानी | 146 | खेड़ा अकबरपुरा | 196 | गाजू |
| 47 | गोरेरा | 97 | बापोड़ | 147 | चक झूझण्डा | 197 | ढाढरिया खुर्द |
| 48 | अजासर | 98 | कादरपुरा | 148 | जनाणा | 198 | बासनी खलील |
| 49 | लाड़िया | 99 | टांकला | 149 | बू-नरावता | 199 | पालड़ीजोधा |
| 50 | अलाय | 100 | सियागों की ढाणी | 150 | मिरजास | 200 | छीलरा |
नागौर उपखण्ड के कतिपय प्रमुख गांव
भदवासी
भदवासी गांव नागौर जिला मुख्यालय से अधिक दूर नहीं है। अनुमान होता है कि यह गांव ई.पू.325 के आस-पास पंजाब से आई साल्वों की भद्रकार शाखा द्वारा बसाया गया। पानी की कमी के कारण गत 50-60 वर्षों से इसे ‘भूतों की मासी’ भी कहा जाता है।
भदवासी गांव के चारों ओर जिप्सम की खानें हैं। यह जिप्सम अरावली पर्वतमाला से नदियों के साथ बहकर आई हुई मिट्टी से बना है। ई.1927 में इस गांव से होकर रेलवे लाइन निकली। ई.1931 में रेल्वे स्टेशन के पास जिप्सम के वैगन तोलने के लिए 25 टन का कांटा लगाया गया। यहाँ से निकलने वाला जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस तथा खड्डी बनाने के काम आता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मूर्तियां बनाने, हड्डियों की चिकित्सा करने तथा फिल्मी सैट बनाने में होता है।
बसवानी
बसवानी या बसवाणी (Baswani) नागौर उपखण्ड में है। किसी सयम यह गांव दहियों की जागीर में था, उनसे पालीवलों को तथा पालीवालों से मण्डलाव राठौड़ों को मिला। इस गांव में बाबा रामदेव का चमत्कारी मंदिर है जिसके दर्शनों के लिए लाखों व्यक्ति प्रति वर्ष आते हैं। इस मंदिर का निर्माण जोधपुर नरेश जसवंतसिंह ने भटियाणी रानी के कण्ठबेल रोग के ठीक होने की प्रसन्नता में करवाया था।
मंदिर में वि.सं.1888 का लेख लगा है। इस मंदिर में कन्हैया नामक पक्षी के घौंसले बड़ी संख्या में हैं। इस गांव में सफेद कबूतर बड़ी संख्या में रहते थे किन्तु 50 साल पहले आई आन्धी में उड़कर कहीं चले गये फिर लौटकर नहीं आये। बसवाणी गांव के तालाब के किनारे ई.1754 में अप्पाजी सिंधिया की सेना ने डेरा डाला था। बरण गांव वालों ने अपनी पुत्री के विवाह में यह तालाब बसवाणी वालों को दहेज में दिया था।
कालड़ी
कालड़ी गांव नागौर उपखण्ड में है। यह गांव लगभग 600 वर्ष पुराना है। इस गांव में कई मठ एवं मंदिर हैं। वि.सं. 1852 में जन्मे तथा वि.सं.1930 में जीवित समाधि लेने वाले संत सवाईजी महाराज की समाधि पर एक बड़ा मंदिर है। यहाँ वर्ष में तीन मेले भरते हैं। चमत्कारी साधु जसनाथ महाराज की समाधि पर भी मेला भरता है। संत ने मात्र 12 वर्ष की आयु में संन्यास लिया तथा 24 वर्ष की आयु में जीवित समाधि ली।
अलाय
अलाय गांव नागौर उपखण्ड में है। अलाय में आधे गांव में विश्नोई तथा आधे गांव में अन्य जातियां रहती हैं। किसी समय यह पालीवालों का गांव था किन्तु किसी कारणवश पालीवाल यहाँ से पलायन कर गये। गांव में 600 वर्ष पुरानी भगवान शांतिनाथ की मूर्ति है जो जैन मंदिर में स्थापित है।
मंदिर में सोने के पानी की चित्रकारी है। इस भव्य जैन मंदिर के पास ही भैरों मंदिर है जहाँ प्रतिवर्ष मेला भरता है। गांव में एक स्वामिभक्त कुत्ते की 800 वर्ष पुरानी छतरी है। इस छतरी के पास उत्तर में बीकानेर के रायबहादुर अबीरचंद डागा की छतरी है जो संगमरमर पत्थर की बनी है। अबीरचंद डागा की आज से लगभग 175 वर्ष पहले इसी स्थान पर मृत्यु हो गई थी।
खारी करमसोता
खारी करमसोता नागौर उपखण्ड में है। यह गांव लगभग 600 वर्ष पुराना है। खारी करमसोता में आजादी से पहले जाटों की न्यायपंचायत लगती थी। इस न्यायपंचायत में चौरासी गांवों की पट्टी आती थी। इसमें जमीन-जायदाद से लेकर घर-गृहस्थी, मारपीट, दुश्मनी तक के निर्णय होते थे।
जाट समाज के सर्वमान्य पांच लोग बैठकर पूरे समाज के सामने फैसला करते थे, जो पंच परमेश्वर कहलाते थे। यह गांव पहले खारी कहलाता था किन्तु करमसोत राठौड़ को जागीर में मिलने के बाद खारी करमसोता कहलाने लगा। गांव के उत्तर-पूर्व में खड्डी (जिप्सम) का बना हुआ एक पुराना और साधारण बनावट का दुर्ग है।
पीपासर
पीपासर नागौर उपखण्ड में है। यह जांभोजी महाराज की जन्मस्थली तथा साधनास्थली है। जांभोजी का जन्म पंवार राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता लौटजी तथा माता हंसादेवी थीं। वि.सं. 1508 में जन्मे जांभोजी सात वर्ष की आयु तक एक भी शब्द नहीं बोले।
गांव से 6 किलोमीटर दूर समराथल धोरा में जांभोजी ने तपस्या की। इससे तीन किलोमीटर आगे मुकाम गांव में विक्रम 1593 में 85 वर्ष की आयु में जांभोजी ने समाधि ली। पीपासर में प्रतिवर्ष फाल्गुन तथा आसोज मास की अमावस्या को राष्ट्रीय स्तर के मेले भरते हैं।
-इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।



