मध्यकालीन मेवाड़ में ओसवाल जाति वित्तीय प्रबंधन से लेकर प्रशासनिक प्रबंधन तथा सैनिक प्रबंधन तक के कार्य करती थी। इसलिए मेवाड़ राज्य में ओसवाल जाति बड़ी सम्पन्न एवं प्रभावशाली थी। उस काल में ओसवाल जाति न केवल मेवाड़ में अपितु मारवाड़, बीकानेर एवं आम्बेर आदि रियासतों में भी राज्य के प्रमुख कार्य संभालती थी। यद्यपि ओसवाल जागीरदार नहीं थे तथापि युद्धों का नेतृत्व ओसवालों को दिया जाता था और बड़े-बड़े सामंतों एवं जागीरदारों को इन ओसवाल अधिकारियों की कमान में रहकर लड़ाई करनी पड़ती थी।
मध्यकाल में राजपूताने की तरह गुजरात प्रदेश में भी ओसवाल जाति बड़े स्तर पर निवास करती थी तथा वहाँ की रियासतों में प्रमुख राजनीतिक गतिविधियों का हिस्सा थी।
मध्यकालीन रियासतों एवं ब्रिटिश कालीन रियासतों में भी ओसवालों को दीवान, प्रधानमंत्री एवं सेनापति जैसे महत्वपूर्ण पद दिए जाते थे। ओसवालों में भामाशाह जैसे स्वामिभक्त, जालसी मेहता एवं चीलजी मेहता जैसे कूटनीतिज्ञ हुए जिन्होंने बड़ा नाम कमाया। ओसवाल मंत्रियों ने मेवाड़ राज्य की बड़ी सेवायें की तथा बड़े से बड़े संकट में महाराणाओं के साथ कंधे से कंधा मिलकार खड़े रहे।
महाराणा हमीर (प्रथम) को चित्तौड़ पर पुनः अधिकार दिलवाने में ओसवाल जाति के जालसी मेहता ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
महाराणा कुम्भा के समय बेला भंडारी, गुरणवाज एवं रतनसिंह ने मेवाड़ रियासत को सेवायें दीं। महाराणा संग्रामसिंह के समय में तोलाशाह ने मेवाड़ रियासत के दीवान के पद पर कार्य किया। राणा रतनसिंह के समय में प्रसिद्ध कर्माशाह मेवाड़ का दीवान रहा। महाराणा रतनसिंह की मृत्यु के बाद राजकुमार उदयसिंह को शरण देकर आशा ओसवाल ने मेवाड़ी राजवंश की रक्षा की। बाद में कर्माशाह तथा चीलजी मेहता की सहायता से उदयसिंह को चित्तौड़ का महाराणा बनाया जा सका।
महाराणा प्रताप के समय में मेवाड़ का कोष ओसवाल जाति के भामाशाह के पास रहता था। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद भामाशाह ने महाराणा प्रताप को विपुल धन उलब्ध करवाया जिससे महाराणा प्रताप को अपनी सेना का वेतन चुकाना संभव हो पाया।भामाशाह और उसके भाई ताराचंद ने महाराणा प्रताप को 2,000,000 सोने के सिक्के और 25,000,000 चांदी के रुपये दिये। उन्होंने मुगल शिविरों पर हमला करके मुगल कोष को लूटा तथा वह कोष महाराणा प्रताप को प्रदान किया।
भामाशाह का पुत्र जीवाशाह महाराणा अमरसिंह का प्रधानमंत्री था। जीवाशाह का पुत्र अक्षयराज महाराणा कर्णसिंह के प्रधानमंत्री रहा।
इस प्रकार ओसवालों ने दीर्घकाल तक मेवाड़ राज्य को निष्ठा, स्वामिभक्ति एवं शौर्य पूर्ण सेवाएं दीं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता