Sunday, December 22, 2024
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86. वकील का गुस्सा

नाना साहब का वकील कृष्णाजी जगन्नाथ महादजी सिन्धिया की छल-कपट युक्त कार्यवाहियों को पसंद नहीं करता था। फिर भी जब महादजी सिन्धिया मेवाड़ियों को गोड़वाड़ पर चढ़ा लाया, तब जगन्नाथ ने पूरा प्रकरण नाना साहब को लिख भेजा। वह चाहता था कि पेशवा की ओर से उत्तर भारत में महादजी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाये।

जगन्नाथ ने अपने पत्र में नाना साहब से अनुरोध किया कि उत्तर भारत में श्रीमन्त पेशवा की ओर से एक ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किये जाने की आवश्यकता है जो साहसी, धार्मिक, धैर्यवान हो तथा अपनी महत्वाकांक्षा के अनुरूप विश्व का निर्माण करने की क्षमता रखता हो। तभी यहाँ का राज्य अपने हाथ में रह सकता है। छल-कपट से शासन का अस्तित्व में रहना आवश्यक नहीं है। उत्तर भारत पर मराठों का शासन बने रहना संभव प्रतीत नहीं होता। फिर कोई नया उपद्रव खड़ा हो सकता है। आप उत्तर भारत की व्यवस्था होलकर और अली बहादुर को सौंप दें तथा टीपू खाँ का मसला महादजी सिन्धिया को सौंप कर महादजी को कम से कम पाँच साल अपने पास रखें।

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