केकींद से प्राप्त अभिलेख : इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।
किष्किंधा के चौहान रुद्र का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – वैशाख सुदि 15 गुरुवार सम्वत 1176 (15 अप्रेल 1120) चन्द्रग्रहण।
विवरण – राजपुत्र राणा महिपाल तथा किष्किंधा (केकिंद) के चौहान रुद्र का उल्लेख है। (संदर्भ, भण्डारकर द्वारा प्रो. रि.आ.स., वे.स. 1910 पृ. 35 पर निर्दिष्ट)
पिप्पल राज का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – चैत्र वदि 1 सम्वत् 1178
विवरण – किष्किंधा पर महामण्डलीक श्री राणक पिप्पलराज एवं श्री रांहामुसक देवी के संयुक्त शासन का उल्लेख है। (संदर्भ, भण्डारक द्वारा प्रो. रि.आ.स., वे.स. 1910-11 पृ. 35 पर निर्दिष्ट।
गुणेश्वर का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – चैत्र सुदि 4, सोमवार वि.सं. 1200 (20 मार्च 1144)
विवरण – भगवान गुणेश्वर के निमित्त दिये जाने वाले दान का उल्लेख है।
(संदर्भ, भण्डारकर द्वारा प्रो. रि.आ.स., वे.स. 1910-11 पृष्ठ 350)
राणक सहनपाल का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – चैत्र सुदि 14, गुरुवार वि.सं. 1202 (28 मार्च, 1146)
विवरण – राणक सहनपाल एवं रानी सांवलदेवी द्वारा दिये गये दानों का अलग-अलग उल्लेख है।
(संदर्भ, भण्डारकर, प्रो. रि.आ.स., वे.स. 1910-11 पृष्ठ 35)
जसधरपाल का अभिलेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – वि.सं. 1224 (ई.1167)
विवरण – अभिलेख में जसधरपाल को महामण्डलेश्वर कहा गया है।
(संदर्भ, भण्डारकर, प्रो. रि.आ.स., वे.स. 1910-11 पृ. 36)
पार्श्वनाथ मंदिर का लेख, भाषा: संस्कृत
तिथि – वि.सं. 1665 (ई.1608)
विवरण – अभिलेख में जोधपुर के राठौड़ शासकों की वंशावली दी गई है- 1. मल्लदेव (मालदेव) 2. उदयसिंह, जो वृहदराज (मोटराजा) कहलाता था तथा जिस अकबर ने ‘शाह’ का खिताब दिया था। 3. सूर्यसिंह (सूरसिंह) 4. गजसिंह। शिलालेख कहता है कि राज्य में चोरी डकैती का भय नहीं था और न लोग अनावश्यक रूप से आखेट करते थे। आमिष और मद्यपान भी प्रचलित नहीं था। यहाँ विजय कुशल, सहज सागर, विनय जयसागर आदि जैन विद्वान रहते थे। इस लेख का प्रशस्तिकार उदयरुचि, लेख जयसागर तथा सूत्रधार टोडर अथवा तोडर था।



