नीमराणा दुर्ग अलवर जिले की बहरोड़ तहसील में स्थित है। यह दिल्ली से 122 किलोमीटर तथा जयपुर से 150 किलोमीटर की दूरी पर है। इस क्षेत्र को मध्यकाल में अहीरवाल भी कहा जाता था। दिल्ली और जयपुर के बीच स्थित होने के कारण मध्यकाल में इस दुर्ग का बड़ा महत्व था।
इस दुर्ग का निर्माण ई.1464 में चौहान राजपूतों द्वारा करवाया गया। नीमराणा के चौहान शासक, अजमेर के चौहान शासक पृथ्वीराज (तृतीय) के वंशज थे। हालांकि पृथ्वीराज चौहान का अजमेर से शासन ई.1192 में ही छूट गया था फिर भी नीमराणा पर चौहानों का अधिकार बना रहा।
राजस्थान के अस्तित्व में आने तक यह दुर्ग चौहानों के अधीन रहा। इस अवधि में नीमराणा दुर्ग के स्वरूप में बड़े परिवर्तन हुए। इस किले के अंतिम उत्तराधिकारी राजा राजेन्द्रसिंह चौहान द्वारा किला छोड़ देने के बाद नीमराणा दुर्ग वीरान हो गया।
यह लगभग तीन एकड़ पहाड़ी भूमि पर बना हुआ है। इसके भीतर पांच मंजिला महल बना हुआ है जो पंचमहल के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इस दुर्ग में एक होटल चलता है। किले के पास एक बहुमंजिला बावड़ी बनी हुई है। मध्यकाल में बावड़ी दुर्ग के भीतर जल आपूर्ति का सबसे विश्वसनीय स्रोत हुआ करती थी। यह बावड़ी दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी।