विविध स्थलों से प्राप्त अभिलेख : नागौर जिले के बहुत से कस्बों एवं नगरों से बड़ी संख्या में शिलालेख आदि प्राप्त हुए हैं। कुछ कस्बों एवं नगरों से प्राप्त शिलालेखों की जानकारी इस लेख में दी गई है।
विविध स्थलों से प्राप्त अभिलेख
स्मारक अभिलेख, भाषा: देशज
स्थान – रीयां।
तिथि – माघ सुदि 15, गुरुवार वि.सं. 1844
विवरण – इस छतरी की नींव फाल्गुन सुद 1, वि.सं. 1841 को गोरधनदास ने रखवाई तथा निर्माण रघुनाथ हरजीमल ने करवाया। सेठ जीवणदास ने माघ सुदि 15, गुरुवार वि.सं. 1844 को इस छतरी पर कलश चढ़वाया। (संदर्भ, शिवसिंह चोयल, राजस्थान भारती, पृ. 37)
स्मारक अभिलेख, भाषा: देशज
स्थान – नाडसर
तिथि – भाद्रपद सुदि 6, मंगलवार वि.सं. 1847
विवरण – मेड़ता के युद्ध में मालमसिंह देवीसिंघोत काम आया। (संदर्भ, दुर्गालाल माथुर द्वारा पठित)
थांवला का शिवमंदिर अभिलेख, भाषा: संस्कृत
स्थान – थांवला
तिथि – पौष सुदि 4, वि.सं. 1013
विवरण – महाराजधिराज सिंधुराज के राज्यकाल में मंदिर के निमित्त विभिन्न व्यक्तियों द्वारा भिन्न-भिन्न दान दिये जाने का उल्लेख है। (संदर्भ, आर.सी. अग्रवाल, वरदा वर्ष 5, अंक 1; डॉ. दशरथ शर्मा, टिप्पणी, वरदा, वर्ष 5, अंक 2)
राव चूंडा का ताम्रपत्र, भाषा: देशज
स्थान – बड़ली
तिथि – कार्तिक सुदि 15, रविवार वि.सं. 1478 (9 नवम्बर 1421)
विवरण – राव चूण्डा ने पुष्कर में उक्त तिथि को पुरोहित सादा को बड़ली नामक ग्राम जिसका क्षेत्रफल 13 हजार बीघा है, पुण्यार्थ प्रदान किया। (ओझा ने लिखा है कि यह ताम्रपत्र अशुद्ध महाजनी लिपि में लिखा हुआ है तथा कृत्रिम है। संदर्भ, ओझा, जोधपुर राज्य का इतिहास, पृष्ठ 213)
राजा सूरसिंह का ताम्रपत्र, भाषा: देशज
स्थान – तेला
तिथि – मार्गशीर्ष सुदि 7, वि.सं. 1672 (ई.1615)
विवरण – महाराजा सूरजसिंह (सूरसिंह) द्वारा बारहठ, लखा, नरहर एवं गिरधर को रहनड़ी, सिंघलानड़ी तथा उचीयाहेड़ो दिये जाने का उल्लेख है। यह ताम्रपत्र साह परव द्वारा लिखा गया है।
राव अमरसिंह का ताम्रपत्र, भाषा: देशज
स्थान – पिरोजपुर
तिथि – माघ सुदि 8, वि.सं. 1695 (ई.1639)
विवरण – ताम्रपत्र में महाराजाधिराज महाराज श्री अमरसिंह द्वारा चांदा रतनसी देदावत एवं नाथा रतनसीयोत को पैरोजपुर गांव देने का उल्लेख है। कुंवर राईसिंह (रायसिंह) के नाम का भी उल्लेख है।
रायसिंह का ताम्रपत्र, भाषा: संस्कृत
स्थान – इंदोखली
तिथि – प्रथम आषाढ़ वदि 13, वि.सं. 1705 (29 मई 1649)
विवरण – इस ताम्रपत्र में (नागौर के शासक अमरसिंह के पुत्र) महाराजाधिराज महाराजा श्री रायसिंह द्वारा बारहट रतनसी नाथा को सरकार नागौर के परगने का गांव इंदोखली दिये जाने का उल्लेख है।
महाराजा रामसिंह का अभिलेख भाषा: संस्कृत
तिथि: कार्तिक सुदि 11, सोमवार वि.सं. 1807 (20 अक्टूबर 1750)
विवरण – महाराजाधिराज महाराजा श्री रामसिंह के शासनकाल में महारोठ नगर में श्री खेमकीर्ति द्वारा अपने गुरु सकलकीर्ति के गुरु श्री नरेन्द्र कीर्ति की छतरी बनाने का उल्लेख है। (संदर्भ सुमेर रि. ई.1945, पृ. 6 पर लिप्यन्तरित)
-यह जानकारी डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।
संकेताक्षर तालिका
1. इं.आ. – इण्डियन आर्कियोलॉजी
2. ए.इं. – एपीग्राफिया इंडिका
3. इं.ए. – इण्डियन एण्टीक्वेरी
4. ए.इं.अ.प.स. – एपीग्राफिया इंडिका अरेबिक एण्ड पर्सियन सप्लीमेण्ट
5. ए.इं.मु. – एपीग्राफिया इण्डो मुस्लिमिका
6. ए.रि.इं.ए. – एनुअल रिपोर्ट ऑफ इण्डियन एपीग्राफी
7. प्रो.रि.आ.स.,वे.स. – प्रोग्रेसिव रिपोर्ट ऑफ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, वेस्टन सर्कल
8. रा.प्र.अ. – राजस्थान के प्रमुख अभिलेख, दुर्गालाल माथुर
9. सुमेर रि. – एनुअल रिपोर्ट ऑफ सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी



