लालगढ़ दुर्ग एवं महल बीकानेर के महाराजा गंगासिंह द्वारा बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में अपने पिता ठाकुर लालसिंह की स्मृति में बनवाया गया जिन्हें महाराज की उपाधि प्राप्त थी।
लालगढ़ दुर्ग एक स्थल दुर्ग है तथा थार मरुस्थल के क्षेत्र में स्थित है किंतु दुर्ग के चारों ओर बीकानेर नगर बसा हुआ होने से मरुस्थल का आभास नहीं होता। वस्तुतः यह दुर्ग कम और महल अधिक है। जिस समय लालगढ़ दुर्ग एवं महल का निर्माण हुआ, उस समय बीकानेर राज्य ब्रिटिश क्राउन के साथ अधीनस्थ सहायता की संधि के अधीन अंग्रेजों का संरक्षित राज्य था। यह संधि ईस्ट इण्डिया कम्पनी के समय ई.1818 में हुई थी।
वर्तमान समय में लालगढ़ दुर्ग तथा महल, संभाग मुख्यालय बीकानेर एवं जिला मुख्यालय बीकानेर पर स्थित है। लालगढ़ महल में लाल पत्थर पर खुदाई का उत्कृष्ट कार्य किया गया है। महल के मुख्य परिसर में पत्थर पर की गई कारीगरी देखते ही बनती है।
दीवारों पर लगे पत्थरों में देवी-देवताओं एवं पशु-पक्षियों की सुंदर मूर्तियां बनाई गई हैं। पत्थर से बने फूल-पत्तियों में अद्भुत घुमावदार तंतुओं का बड़े ही कौशल से अंकन किया गया है।
दुर्ग-महल के अंदर का फर्श संगमरमर से बनाया गया है। महल के चारों ओर सुंदर योजना पर बनाया गया उद्यान है जिसके एक कौने में तरणताल बना हुआ है। उद्यान एवं तरणताल में सुंदर प्रकाश व्यवस्था की गई है।
लालगढ़ दुर्ग-महल में लगभग 100 आवासीय कक्ष बने हुए हैं जो रियासती काल में राजपरिवार एवं उनके अनुचरों के निवास स्थल हुआ करते थे। इस महल में एक समृद्ध पुस्तकालय भी है। इसमें कई मूल दस्तावेज एवं दुर्लभ ग्रंथ संजोये गये हैं। महल के सामने, महाराज लालसिंह की प्रतिमा महल की तरफ मुंह करके खड़ी है। इस दुर्ग-महल में ई.1937 से राठौड़ राजपरिवार के सदस्य निवास करते हैं।
लालगढ़ दुर्ग की वर्तमान स्थिति
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय यह दुर्ग सही स्थिति में था और इसमें कुछ सरकारी कार्यालय स्थापित किये गये थे किंतु अब यह काफी जर्जर हो गया है। फिर भी पर्यटकों के लिए यह मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। देश-विदेश के सैलानी बड़ी संख्या में लालगढ़ दुर्ग एवं पैलेस को देखने के लिए आते हैं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता