Saturday, November 22, 2025
spot_img

रेण

रामस्नेही सम्प्रदाय की प्रसिद्ध पीठ के कारण रेण को पूरे देश में जाना जाता है। रामस्नेही संप्रदाय के आदि आचार्य दरियावजी ने रेण में तप किया था। गांव के उत्तर में स्थित पक्के सरोवर की पश्चिम दिशा में दरियावजी महाराज का रामद्वारा बना हुआ है।

 रेण के इसी रामद्वारे में दरियावजी की समाधि स्थित है। यह समाधि संगमरमर से निर्मित है। इस पर वि.सं. 1733 भाद्रपद कृष्णाष्टमी को दरियावजी का जन्म होना तथा मार्गशीर्ष पूर्णिमा संवत 1815 को मोक्ष होना अंकित है। दरियावजी के दीक्षा ग्रहण की तिथि संवत 1769 कार्तिक शुक्ला एकादशी दी गई है। प्रतिवर्ष चैती पूनम (चैत्र माह की पूर्णिमा) को यहाँ विशाल मेला भरता है।

कहा जाता है कि भक्त शिरोमणि मीरांबाई के काका रायमल को एक बार कोढ़ हो गया। रायमल अपनी रानी सहित शिवनाथ बाबा के दर्शनों के लिये आया। उस समय रेण गांव बसा हुआ नहीं था। रायमल ने बाबा शिवनाथ के दर्शन किये तथा पीने के लिए जल मांगा।

बाबा ने कहा कि थोड़ी दूर पर एक कुण्ड है उसमें से जल ले लो। जब रायमल वहाँ गया तो उसे कुण्ड की जगह कुछ पत्थर दिखाई दिये, जिन्हें हटाने पर कुण्ड के दर्शन हुए। रायमल ने उस कुण्ड में स्नान किया तथा जलपाल भी किया। कहते हैं कुण्ड में स्नान करते ही रायमल का कोढ़ दूर हो गया। उस स्थान पर तब से रेण गांव बसना आरम्भ हुआ। किसी समय मेड़ता के बाद इस क्षेत्र में रेण ही अनाज की सबसे बड़ी मण्डी थी।

रेण गांव के मुख्य बाजार में दरियावजी का प्रवचन स्थल है। इस दो मंजिला भवन के भित्तिचित्र देखते ही बनते हैं। दरियावजी महाराज का तपस्या स्थल रेण तथा मेड़ता के मध्य में हैं, जिसे खेजड़ी कहते हैं।

रेण गांव की तीन दिशाओं में तीन तालाब है। पूर्व में स्थित तालाब रामसागर कहलाता है जिसके पश्चिमी किनारे पर दादूपंथियों का दादूद्वारा है जिसे स्थानीय लोग रामद्वारा कहते हैं। दादूपंथियों की यह 400 वर्ष पुरानी पीठ नरेना पीठ के अधीन आती है। रामसागर तालाब के उत्तर में अत्यन्त प्राचीन शिवालय है जिसमें अनेक प्राचीन मूर्तियां खण्डित पड़ी हुई है।

इसी शिवालय से लगा हुआ एक छोटा शिवालय और है जो केवल एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। लगभग सात सौ वर्ष पुराने इस शिवालय में अब कोई प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित नहीं है।

इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।

Previous article
Next article

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source