राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय राजस्थान के इतिहास, संस्कृति, कला एवं जीवन शैली को प्रदर्शित करने वाली ऐसी विशाल एवं खुली किताबें हैं जिनमें संचित ज्ञान को बिना पढ़ा-लिखा, धरती के किसी भी कौने में रहने वाला एवं किसी भी आयु का व्यक्ति आसानी से समझ सकता है।
संग्रहालय किसी भी देश, प्रांत, नगर अथवा समाज के इतिहास एवं संस्कृति के साथ-साथ जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा विज्ञान, कला, लेखन आदि में हुए विकास को दिखाने वाला विश्वसनीय दर्पण है। किसी संस्था एवं संगठन के इतिहास एवं उपलब्धियों की जानकारी भी संग्रहालय अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।
संग्रहालय दर्शक के समय, श्रम एवं धन की बचत करता है, उसकी बौद्धिक उत्सुकता को परिष्कृत करता है एवं जिज्ञासाओं को शांत करता है। वर्तमान युग में संग्रहालय, सम्पूर्ण विश्व में पर्यटकों के आकर्षकण का मुख्य केन्द्र बन गए हैं।
विश्व भर के अनेक देशों से 1 करोड़ से अधिक पर्यटक प्रतिवर्ष भारत आते हैं। विदेशी पर्यटक भारत की आय में 27 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान देते हैं। यह योगदान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 6.88 प्रतिशत है। प्रत्येक विदेशी पर्यटक भारत में एक-दो अथवा कुछ संग्रहालयों का अवलकोन अवश्य करता है। इस कारण संग्रहालय विदेशी मुद्रा अर्जित करने के सशक्त एवं विश्वसनीय स्रोत बनते जा रहे हैं।
कहा जा सकता है कि संग्रहालय, विदेशी पर्यटकों के लिए सच्चे राजदूत का काम करते हैं। विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ देशी पर्यटक, इतिहास, कला एवं विज्ञान के विद्यार्थी, शिक्षक एवं जनसाधारण भी अपने जीवन में संग्रहालयों का भ्रमण एवं अवलोकन अवश्य करते हैं। संग्रहालयों को देखने से ज्ञान समृद्ध होता है और यह एक अनूठा अनुभव भी होता है। वर्तमान समय के कई महान नगर अपने श्रेष्ठ संग्रहालयों के कारण विश्व भर में जाने जाते हैं।
राजस्थान में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख विदेशी एवं 4 करोड़ स्वदेशी पर्यटक आते हैं। इन पर्यटकों की सुविधा के लिए पूरे राज्य में सरकारी क्षेत्र में 18 संग्रहालय स्थापित किए गए हैं। अनेक निजी संस्थाएं, व्यक्ति एवं परिवार भी अपने संग्रहालयों का संचालन करते हैं। इस पुस्तक में इन संग्रहालयों में संगृहीत सामग्री के साथ-साथ उनकी विशेषताओं को भी लिखा गया है।
पुस्तक के प्रारंभ में संग्रहालय की अवधारणा का विकास, आदिम संग्रहालयों के चिह्न, परग्रही जीवों द्वारा छोड़े गए संग्रहालय, राजस्थान में संग्रहालयों की स्थापना का इतिहास तथा राजस्थान के संग्रहालयों की आधारभूत सामग्री का परिचय दिया गया है। आशा है यह पुस्तक शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों, पर्यटकों एवं विभिन्न वर्गों के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता