Wednesday, February 5, 2025
spot_img

भाद्राजून दुर्ग

जोधपुर से 93 किलोमीटर तथा जालोर से 54 किलोमीटर दूर स्थित भाद्राजून दुर्ग बहुत छोटा दुर्ग है। रियासत काल में इस दुर्ग में जोधपुर राज्य के पहले दर्जे के 10 जागीरदार में से एक का ठिकाना था जिन्हें सिरायत कहते थे।

जोधपुर राज्य के ये दस सरदार सम्मान, अधिकार तथा पद में शेष सभी सरदारों से बड़े होते थे। जोधपुर राज्य के कुल 1891 जागीरदार थे। इनमें से 290 जागीरदार ताजीमी सरदार कहलाते थे। इन 290 में से पहले 10 ‘सिरायत’ कहलाते थे और ये राठौड़ राजवंश के ही होते थे। इनके ठिाकनों की जनता इन्हें ‘राजा’ कहकर सम्बोधित करती थी। इसी कारण भाद्राजून का ठिकानेदार ‘राजा’ कहलाता था।

भाद्राजून की जागीर जोधपुर नरेश सूरसिंह ने विक्रम संवत् 1652 (ईस्वी 1596) में मुकुन्ददास राठौड़ को इनायत की थी। ये लोग राव मालदेव के द्वितीय पुत्र रतनसी के वंशज जोधा राठौड़ हैं। इस रतनसी का एक शिलालेख भाद्राजून के नीलकण्ठ गांव के प्रसिद्ध शिव मन्दिर के पास लगा हुआ है जो आज भी देखा जा सकता है।

इस जागीर के अधीन 27 गांव थे जिनकी वार्षिक आय 31,850 रुपये थी। पूरे मारवाड़ राज्य में राज परिवार के अतिरिक्त कुल 290 ताजीमी सरदारों की ठकुरानियां ही पैरों में सोने का कड़ा पहन सकती थीं। जब जोधपुर नरेश दरबार लगाते थे तब राजपूत सरदारों में चांपावत तथा कूंपावत शाखा के जागीरदार दाहिनी तरफ बैठते थे। जोधा, मेड़तिया तथा उदावत महाराजा के बाईं तरफ बैठते थे।

पोकरन, आऊवा और आसोप के ठाकुरों में से जो सबसे पहले आता था वही महाराजा के दाहिनी तरफ सबसे ऊपर बैठ जाता था। रीयां, रायपुर, रास, नीमाज तथा खेरवा के ठाकुरों में जो सबसे पहले आता था उसको बाईं तरफ पहली बैठक मिलती थी और जब ऊपर लिखे सिरायतों में से कोई भी उपस्थित न हो तो आलनियावास और भाद्राजून के ठाकुरों में से कोई भी ठाकुर इनकी जगह दायें और बायें, जैसी भी आवश्यकता होती, पहला स्थान पाता था।

भाद्राजून जागीरदार के अधीन भाद्राजून दुर्ग था जो यहाँ की पहाड़ियों पर बना हुआ है। यह एक छोटा किन्तु मजबूत पहाड़ी दुर्ग है। भाद्राजून जागीरदारों के वंशज गोपालसिंह 1977 की राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। आज भी जब पूर्व राजा भाद्राजून आते हैं तो परकोटे के द्वार पर नगाड़े बजाकर राजा के आने की सूचना दी जाती है। रियासत कालीन वैभव से समृद्ध यहाँ का दुर्ग आज भी देखा जा सकता है। कुछ विदेशी पर्यटक भाद्राजून इस दुर्ग को देखने के लिये आते हैं तथा पूर्व राजा के मेहमान होते हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source