नाहरगढ़ का किला
नाहरगढ़ का किला बारां से 54 किलोमीटर दूर बारां-शाहबाद मार्ग पर भंवरगढ़ ग्राम से 21 किलोमीटर दूर स्थित नाहरगढ़, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है। मध्यप्रदेश का गुुना शहर यहाँ से 80 किलोमीटर दूर स्थित है।
नाहरगढ़ का किला ई.1712 में नाहरदल राठौड़ के पुत्र कुतुबुद्दीन ने बनवाया था जो राजपूत से मुसलमान बन गया था। इस कारण दुर्ग के स्थापत्य में मुसलमानी शैली का प्रभाव दिखाई देता है।
मराठा सरदार बाजीराव पेशवा ने कोटा नरेश दुर्जनशाल (ई.1723-56) के अनुरोध पर नाहरगढ़ का किला नवाब से छीनकर कोटा राज्य के सुपुर्द कर दिया था। नाहरगढ़ का किला लाल रंग के पत्थरों से निर्मित है तथा इसकी आकृति दिल्ली के लाल किले जैसी जान पड़ती है।
यह हाड़ौती अंचल के प्रमुख किलों में से एक है। मुख्य प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख लगा हुआ है। बाईं ओर की बुर्जी पर अरबी लिपि एवं फारसी भाषा में एक लेख उत्कीर्ण है।
किले में रानीमहल एवं रंगमंच बने हुए हैं। अन्य आवासीय भवन नष्ट हो चुके हैं। इसके भीतरी भाग में एक सरकारी विद्यालय चलता है। इसी परिसर में दो कुएं और एक कुंड भी बना हुआ है। किले के उत्तरी भाग मंे देवी मंदिर है। किले के पीछे की ओर विशाल तालाब है जिसमें घाट बने हुए हैं। तालाब का तल पक्का है। किला समतल भाग पर बना हुआ है।
रामगढ़
बारां जिले में स्थित रामगढ़ का पुराना नाम श्रीनगर था। दसवीं शताब्दी के आस-पास यह एक समृद्ध नगर था। यहाँ स्थित एक पहाड़ी पर लगभग पांच सौ वर्ष पुराना दुर्ग विद्यमान है।
केलवाड़ा दुर्ग
बारां जिले की किशनगंज तहसील के केलवाड़ा कस्बे में स्थित केलवाड़ा दुर्ग का निर्माण चौहानों की हाड़ा शाखा के शासकों ने करवाया। यह चारों ओर से आठ फुट गहरी खाई से घिरा हुआ है जिसमें हर समय जल भरा रहता था। यह एक लघु दुर्ग है जो प्राचीर से सुरक्षित है तथा इस प्राचीर में बुर्ज बनी हुई हैं। दुर्ग परिसर में राजसी महल, मंदिर, जलाशय आदि बने हुए हैं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता