Thursday, November 13, 2025
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नागौर से प्राप्त शिलालेख

नागौर से प्राप्त शिलालेख : इस ब्लॉग में प्रयुक्त सामग्री डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ग्रंथ नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास से ली गई है।

विट्टल प्रतिमा पादासन अभिलेख, भाषा: देशज

तिथि – मार्गशीर्ष वदि 5 बुधवार वि.सं. 1533 शाके 1399 (ई.1476)

विवरण- यह लेख बंशीवाले के मंदिर में लगा है। नागौर नगर से प्राप्त शिलालेखों में यह सबसे पुराना है। इसमें कहा गया है कि मार्गशीर्ष वदि 5 बुधवार वि.सं. 1533 शाके 1399 को नागौर में श्री विट्टलजी की प्रतिमा का निर्माण हुआ।

शेख सुलेमान का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 12 रवि उल अव्वल वि.सं. 952 (24 मई 1545)

विवरण – अभिलेख में कहा गया है कि शेख सुलेमान ने यह पौसाल अली युसुफ-दौलत खान हुसैन अकबर सैय्यद कबीर से लेकर सन्त कीरतचन्द को सौप दी। अब जो कोई यह पोसाल कीरतचन्द से छीनेगा वह कष्टों का भागी होगा।

तालाब के पास वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1 शव्वाल हि. 960 (10 सितम्बर 1553)

विवरण – कुरान (अध्याय 2 आयत 114) की एक आयत उत्कीर्ण है। तदुपरान्त कहा गया है कि इस मस्जिद का निर्माण शेरशाह के पुत्र इस्लामशाह के शासनकाल में रुक्नुद्दीन अलकुरेशी अल हाशिमी के पुत्र अक्जा अल कुजात काजी हाजी उमर ने करवाया। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.इ.मु. 1949-50, पृ. 36)

काजियों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि- शव्वाल हि. 960 (सितम्बर 1553)

विवरण- अभिलेख में कुरान की एक आयत दी गई है जिसका आशय है कि मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ना छोड़ना एक बहुत बड़ा पाप है।

काजियों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – शव्वाल हि. 960 (सितम्बर 1553)

विवरण – अभिलेख में कुरान की एक आयत उद्धृत है जिसका आशय है कि लोगों को एक ही अल्लाह की इबादत करनी चाहिए, उसकी दया के अभाव में प्रत्येक व्यक्ति को हानि उठानी पड़ती है। इस मस्जिद का निर्माण अकजाउल कुजात काजी ऊमर ने करवाया। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.इ.मु. 1949-50, पृ. 37)

तालाब के करीब वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 21 शव्वाल हि. 960 (सितम्बर 1553)

विवरण – अभिलेख में हाजी ऊमर द्वारा मस्जिद बनवाये जाने का उल्लेख है।

काजियों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 21 शव्वाल हि. 960 (30 सितम्बर 1553)

विवरण – अभिलेख में कुरान की एक आयत उद्धृत है कि जब जकारिया मजियम के दर्शन करने हेतु जेरूशलम गया तो उसने उसके पीछे बिना मौसम के फल देखे। इस मस्जिद का निर्माण सुल्तान इस्लाम शाह के शासनकाल में शेख रुक्नुद्दीन कुरेशी हश्मी के पुत्र हाजी ऊमर ने करवाया।

काजियों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि……… मोहर्रम हि. 1061 (…… दिसम्बर 1553)

विवरण – इस मस्जिद का निर्माण नगरपति शेख रुक्नअंदेशी हश्मी के पुत्र हाजी ऊमर द्वारा करवाया गया एवं उसके 100 वर्ष बाद अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मोहम्मद साहिब किरन (द्वितीय) शाहजहान बादशाह गाजी के शासनकाल में काजी रहमतुल्ला द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। (डॉ. चगताई, ए.इ.मु. 1949-50, पृ. 46)

तालाब के पास वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 967 (ई.1559-60)

विवरण – अभिलेख में जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर के शासनकाल में अब्दुलगनी द्वारा मस्जिद बनवाए जाने का उल्लेख है। दूरी नाम से प्रसिद्ध, कतियुलमुल्क द्वारा सृजित। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.इ.मु. 1949-50, पृ. 39)

नागौर अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि- हि. 968 (1560-61)

विवरण- अभिलेख में किसी विशाल भवन के निर्माण का उल्लेख हुआ है। (संदर्भ, इं.आ. 1962-63 पृष्ठ 61)

अकबरी मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 972 (ई.1564-65)

विवरण – बादशाह अकबर शाह के समय में हुसैन कुली खाँ द्वारा मस्जिद बनवाने का उल्लेख है। दरवेश मुहम्मद अल हाजी, जो रम्जी नाम से प्रसिद्ध है, द्वारा लिखित।

खानजाद जहांगीर कुली का अभिलेख, भाषा- अरबी-फारसी

तिथि – हि.सं. 973 (ई.1565-66)

विवरण – अभिलेख में अकबर के दरबारी एवं सेनापति हुसैन कुली खान घुल कादर के पुत्र खानजादा जहांगीर कुली का उल्लेख है।

अकबरी मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 975 (ई.1567)

विवरण – अकबर के शासनकाल में हुस्सैन कुली खान ने इस अकबरी मस्जिद का शिलान्यास किया। जुम्री नाम से प्रसिद्ध दरवेश मोहम्मद हाजी द्वारा सृजित।

बाजे वालों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 980 (ई.1572)

विवरण – अभिलेख में कहा गया है कि इस शानदार इमारत का निर्माण शेख अब्दुल्ल गनी के निर्देशन में बादशाह मोहम्मद अकबर के शासन काल में हुआ।

दुर्ग स्थित बावड़ी का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 982 (ई.1574)

विवरण – अभिलेख में कहा गया है कि इस फव्वारे का निर्माण बादशाह अकबर के राज्यकाल में हुसैन कुली खान द्वारा करवाया गया।

कचहरी के सामने वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1006 (ई.1597)

विवरण – अभिलेख में कहा है कि ताहिर खान, जिसे बादशाह अकबर ने नागौर का जिला प्रदान किया था, ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया।

अतारकित की दरगाह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1008 (ई.1599-1600)

विवरण – एक आयत लिखी है जिसमें जीवन की अवास्तविकता पर प्रकाश डाला गया है। मीर बुजुर्ग द्वारा उत्कीर्ण।

तारिकीन की खानकाह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1008 (ई.1599-1600)

विवरण – अभिलेख में मीर बुजुर्ग की नवाब मुहम्मद मासूम नामी के साथ इस मस्जिद की यात्रा पर आने का उल्लेख हुआ है। मीर बुजुर्ग द्वारा लिखित। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 41)

तारकीन की खानानह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1008 (ई.1600)

विवरण – बिना लाभ के समय गंवाना अत्यधिक दुःख का विषय है।

अमीर मुहम्मद मासूम के पुत्र मीर बुजुर्ग द्वारा लिखित

बंशीवाले के मंदिर के जीर्णोद्धार का अभिलेख, भाषा: संस्कृत

तिथि – पौष शुक्ला 13, सोमवार वि.सं. 1671 (ई.1614)

विवरण – बादशाह नूरूद्दीन मुहम्मद जहांगीर के शासनकाल में नागौर के शासक राणा श्री सागर के समय गदाधर के पुत्र नारायणदास लोहिया के प्रयासों से बंशीवाले के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। यह शिलालेख मिश्र जोधा द्वारा लिखा गया तथा अजमेरी पीर मोहम्मद द्वारा उत्कीर्ण किया गया। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ.)

पीर जुहूरूद्दीन की दरगाह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1008 (ई.1599-1600)

विवरण- मीर बुजुर्ग ने (अपने पिता) नवाब अमीर मुहम्मद मासूम नामी के साथ इस दरगाह की यात्रा की। (संदर्भ, ए.रि.इ.ए. 1956-66, संख्या डी 356)

बादशाह अकबर का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि.1010 (ई.1610)

विवरण – दक्षिण विजय के उपरान्त बादशाह अकबर ने मोहम्मद मासूम को ईराक की यात्रा पर जाने की अनुमति दी। इसके बाद संसार की निस्सारता पर प्रकाश डालने वाली एक आयत लिखी है। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 42)

कचहरी के सामने वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – रजब 11 हि…… (26 दिसम्बर 1601)

विवरण – इन चार दुकानों का निर्माण अफगान सिराजुद्दीन ने करवाया था।

बाजे वाले की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1012 (1603 ई.)

विवरण – इस भव्य मस्जिद का शिलान्यास बादशाह अबुल मुजफ्फर साहिब्किरीन (बादशाह अकबर) के शासनकाल में हुआ।

अमीर मोहम्मद मासूम का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1013 (ई.1604-5)

विवरण – मआदनुल अफ्फार, अकबरनामा, खम्सा, राईसूरत एवं जश्ननामा ग्रन्थों से एक-एक छन्द उल्लिखित है। ये छन्द अमीर मोहम्मद मासूम ने नागौर लौटने पर हि.सं.1013 में लिखे। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 42)

सरदार संग्रहालय, जोधपुर में संग्रहीत अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – मुहर्रम 1 हि. 1040 (31 जुलाई 1630)

विवरण – नवाब सिपहसालार खान-इ-खानान् महावत खान के प्रान्तपतित्व काल में शाहदाद के पुत्र तैयब द्वारा अर्रायान के मुहल्ले में मस्जिद बनवाए जाने का उल्लेख है। (संदर्भ, ए.ई.अ.प.स. 1955-56 पृष्ठ 65)

दुर्ग की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1041 (ई.1631 ई.)

विवरण – इस मस्जिद का निर्माण बादशाह अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मोहम्मद साहिब किरण (द्वितीय) शाहजहाँ बादशाह गाजी के शासनकाल में खान-ई-खाना महावत खाँ बहादुर सेनापति ने करवाया। काजी मुहम्मद ताहिर द्वारा लिखित। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 44)

तालाब वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1041 (ई.1631-32 ई.)

विवरण – मुहम्मद द्वारा शाहजहाँ के शासनकाल में यह मस्जिद बनवाई गई।

कादी हमीदुद्दीन नागोरी की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 2 धुल हिज्ज हि. 1047 (7 अप्रेल 1638)

विवरण – जिस छतविहीन भवन का निर्माण सन्त काजी हमीदुद्दीन नागौरी ने करवाया था, उस पर छत डालने का कार्य मुहम्मद नासिर ने करवाया। (संदर्भ, ए.रि.इ.ए 1961-62 सं.डी 261 तथा कनिंघम द्वारा आ.स.इ.रि. खण्ड 13 पृ. 64)

खड़ी मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 11 रमदान हि. 1047 (17 जनवरी ई.1638 ई.)

विवरण – मुल्ला ताहिर मुल्तानी के पुत्र इशाक द्वारा मस्जिद बनवाने का उल्लेख है। (संदर्भ, ए.रि.इ.ए. 1968-69 संख्या डी 422 ।)

माया दरवाजे के करीब वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – रमदान 14 हि. 1047 (20 जनवरी 1638)

विवरण – लोघान परगने के कडान गांव में मस्जिद बनवाये जाने का उल्लेख है।

तबीब की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – मोहर्रम हि. 1050 (अप्रेल 1640)

विवरण – इस मस्जिद का निर्माण सुल्तान शहाबुद्दीन शाहजहां गाजी के शासनकाल में, जबकि नवाब सिपहसालार खान-इ-खाना, यहाँ का गर्वनर था, शद्दार के पुत्र तबीब द्वारा अरयन की बस्ती में करवाया गया।

कनेरी जुलाहों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1055 (ई.1645-46)

विवरण – मुहब्बत दर्विश ने दिल्ली दरवाजा के सामने मस्जिद बनवाई। अब्दुल हाफिज मुंअद्दीन द्वारा लिखित। (संदर्भ, ए.रि.इ.ए. 1965-66 सं. डी 343)

शाहजहाँ कालीन अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1056 (ई.1646)

विवरण – ताहिर खाँ को बादशाह से नागौर प्राप्त हुआ, उसने यह मस्जिद बनवाई।

चौक की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1 मुहर्रम हि. 1061 (25 दिसम्बर, 1650 ई.)

विवरण – कादी हाजी उमर द्वारा निर्मित मस्जिद का पुनर्निर्माण हाफिज कादी रहमतुल्लाह के पुत्र मुहम्मद मुराद ने करवाया, जो उमर का पाँचवां वंशज था। शेर मुहम्मद के पुत्र उमर द्वारा लिखित। (संदर्भ, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 46)

औरंगजेबकालीन अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 29 मोहर्रम हि. 1076 (1 अगस्त 1665)

विवरण – इस द्वार का शिलान्यास अबुल मुजफ्फर मोहिउद्दीन मोहम्मद शाह औरंगजेब आलमगीर के शासनकाल में एवं राव अमरसिंह के पुत्र राजा रायसिंह की सूबेदारी में राजपूत डूंगरसिंह कोटवाल की देखरेख में हुआ। इसके अनन्तर इसी तथ्य को 4 पंक्तियों में देवनागरी अक्षरों में उत्कीर्ण किया गया है। दरवाजे का नाम ‘दरवाजा-इ-इस्लाम’ दिया गया है। मुहम्मद गौथ के पुत्र कुली (?) द्वारा लिखित। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 47)

किले में स्थित मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1076 (ई.1665)

विवरण – सैयद कबीर के प्रयास से बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में मस्जिद का निर्माण हुआ। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 48)

जुलाहों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 29 शव्वाल हि. 1079 (22 मार्च 1669)

विवरण – शेख युसुफ द्वारा मस्जिद बनवाई गई। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1965-66 सं. डी 354 ।)

डूंगरसिंह गहलोत का अभिलेख, भाषा: देशज

तिथि – पौष वदि 13, विं.स. 1727 (ई.1670)

विवरण – यह हवेली डूंगरसिंह गहलोत की है। नागौर के राजा रायसिंह तथा बादशाह औरंगजेब का भी नामोल्लेख हुआ है।

जुलाहों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 25 धुल हिज्ज हि. 1080 (6 मई 1670)

विवरण – मखदूम बहाऊद्दीन के वंशज शेख सदरूद्दीन द्वारा यूसुफ दर्बिश की देखरेख में मस्जिद बनवाई गई।(संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1965-66 सं. डी 355 ।)

बालकिशन शर्मा की हवेली का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 26 रजब हि. 1081 (29 नवम्बर 1670)

विवरण – इस हवेली एवं इसकी प्रतोली का निर्माण नारायण दास गहलोत के पुत्र डूंगरसी, जो इसका वास्तविक मालिक है, द्वारा रायसिंह राठौड़ के समय करवाया गया। मुहम्मद अब्बासी के लिए शेख जा द्वारा लिखित। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1961-62 संख्या डी 250 ।)

तालाब के पास वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – रबी उल आखिर हि. 1083 (जुलाई 1672)

विवरण – मुहम्मद के पुत्र हमीद (?) द्वारा मस्जिद का निर्माण बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में सम्पन्न करवाया गया।

काजियों के मोहल्ले की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – द्वितीय रबी 23 हि. 1084 (28 जुलाई 1673)

विवरण – मुहम्मद के पुत्र हमीद द्वारा मस्जिद बनवाए जाने का उल्लेख हुआ है।

(संदर्भ, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 49)

घोसियों की अमली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1 प्रथम रबी हि. 1088 (24 अप्रेल 1677)

विवरण – शेख ताज मुहम्मद अब्बासी कादिरी नागोरी के शिष्य यतीम दर्विश द्वारा मस्जिद के निर्माण का उल्लेख हुआ है।

बिसपंथी पंचायत भवन का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – हि. 1111 (ई.1699-1700)

विवरण – महाराजा इन्द्रसिंह के समय नारायणदास के पौत्र एवं डूंगरसी के पुत्र जीवनदास ने यहाँ एक कुआं खुदवाया तथा बगीचा बनवाया। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1961-62 संख्या डी 256)

चांदी का हॉल का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 11 शाबान 10 हि. 1117 (16 नवम्बर 1705)

विवरण – इस भवन का निर्माण डूंगरसी गहलोत के पुत्र जीवनदास ने महाराजा इन्द्रसिंह के समय करवाया। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1961-62 संख्या डी 251)

सूफी की दरगाह का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि: द्वितीय जुमादा 6 हि. 1221 या 1229 (21.08.1806 या 26.05.1814)

विवरण – नवाब मुहम्मद शाह खान बहादुर की सेना का अधिकारी उमरखान जो गुलाम मुहम्मद खान का पुत्र था, यहाँ दफनाया गया। उमरखान अवध सूबा के अंतर्गत लखनऊ सरकार में हद्रतपुर बदू सराय के पास तिकुरी का निवासी था। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1962-63 संख्या डी 231)

अतार्किन की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – जमादि उल अव्वल हि. 1223 (जुलाई 1808)

विवरण – वली हमीम्मुद्दीन की इस मस्जिद का शिलान्यास अब्दुल गफ्फूर खान के प्रयासों से नवाब अमीर खान द्वारा हुआ। मस्जिद का निर्माण फैजुल्ला खाँ के पुत्र बहराम खाँ की देखरेख में बादशाह मोहम्मद अकबर शाह द्वितीय के समय हुआ। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 51)

अतार्किन की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – जमादि उल-अव्वल हि. 1223 (जुलाई 1808)

विवरण – अभिलेख का विषय उपरोक्त के अनुसार ही है।

अतार्किन की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – 1304 (ई.1887)

विवरण – लेख में कहा गया है कि शाह हमीमुद्दीन नागौर इलाके का रक्षक है। यहाँ शेख इलाही बक्श न्यायाधीश था जो मस्जिद में गुम्बद का निर्माण करवाना चाहता था, लेकिन उसका स्थानान्तरण मेड़ता हो गया, अतः उसने अपने इच्छित कार्य को सम्पन्न करवाने हेतु सैय्यद अब्दुला को यहाँ भेजा। गुलाम द्वारा सृजित। (संदर्भ, ए.रि.ई.ए. 1962-63 संख्या डी 234)

काजियों की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

तिथि – रवि-उल-आखिर मास का तृतीय सप्ताह।

विवरण – कुरान की आयत उत्कीर्ण है जिसका आशय है कि अल्लाह एक ही है एवं मोहम्मद उसका पैगम्बर है।

दुर्ग की मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

विवरण – इस मस्जिद का निर्माण उस्ताद बहाउद्दीन की देखरेख में हुआ।

दुर्ग में बावड़ी के पास का भित्ति-लेखभाषा: अरबी-फारसी

विवरण – इस नगर में जो कोई भी व्यक्ति खुश मिजाज अथवा नाखुश मिजाज में आए वह खुदा के वास्ते, हमारे लिए दुआ करे। (संदर्भ, डॉ. चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 53)

कचहरी के सामने वाली मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

विवरण – जिस किसी व्यक्ति का शासन इस नगर पर हो वह इस मस्जिद की पवित्रता की रक्षा करे। अभिलेख के नीचे देवनागरी में महाराजा मानसिंह का नाम उत्कीर्ण है।

अकबरी मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

विवरण – अभिलेख में कुरान-ए-शरीफ से आयत-उल-कुर्सी नामक छन्द उत्कीर्ण है जिसके अनुसार अल्लाह सर्वोच्च एवं सर्वशक्तिमान है, उसकी महत्ता के सम्बन्ध में कोई शंका नहीं कर सकता।

अकबरी मस्जिद का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

विवरण – बादशाह अकबर के शासनकाल में खान हुसैन कुली खाँ ने इस मस्जिद का शिलान्यास किया था। जुम्री के नाम से प्रसिद्ध दरवेश मोहम्मद हाजी द्वारा सृजित।

बहादुरशाह (द्वितीय) का अभिलेख, भाषा: अरबी-फारसी

विवरण – बादशाह सिराजुद्दीन (बहादुरशाह द्वितीय) के शासनकाल में खान ए आलीशान अशरफ खाँ अफगान द्वारा दुकान का निर्माण कराये जाने का उल्लेख है। (संदर्भ, चगताई, ए.ई.मु. 1949-50, पृ. 52)

नागौर से प्राप्त शिलालेख सामान्यतः मुस्लिम शासकों के हैं जबकि हिन्दू शासकों के कुछ ताम्रपत्र भी मिले हैं जिनसे नागौर का मध्यकालीन इतिहास लिखने में सहायता मिलती है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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