Monday, February 10, 2025
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फलौदी दुर्ग

संस्कृत शिलालेखों में फलौदी नगर का प्राचीन नाम फलवर्द्धिका तथा विजयपुर मिलता है। फलौदी नगर जोधपुर के शासक राव सूजा के पुत्र नरा ने बसाया।

रूपनगढ़ दुर्ग

रूपनगढ़ दुर्ग की प्राचीर में नौ बुर्ज बनी हुई हैं। दुर्ग के भीतर राजसी महल, शस्त्रागार, बारूदखाना भूमिगत गलियारे, जेल तथा अन्य निर्माण देखे जा सकते हैं।

किशनगढ़ दुर्ग

महाराजा किशनसिंह के वंशज ई.1948 तक किशनगढ़ राज्य पर शासन करते रहे। छोटी रियासत के सीमित संसाधन होने पर भी किशनगढ़ के राजाओं ने कई दुर्ग बनवाये।

भूकरका दुर्ग

बीकानेर राज्य के सामंत खड़गसिंह ने ई.1608 के आसपास बेनीवाल जाटों से भूकरका छीना तथा भूकरका दुर्ग का निर्माण करवाया। यह पूरा क्षेत्र वैदिक...

महनसर दुर्ग

अंग्रेजों के समय में महनसर के ठाकुर को न्यायिक अधिकार प्राप्त थे। उसे जयपुर राज्य की तरफ से राजश्री तथा सोनानरेश की उपाधियां प्राप्त थीं।

नवलगढ़ एवं दलेलगढ़

नवलगढ़ एवं मंडावा के ठाकुरों ने उदयसिंह के नेतृत्व में पिलानी पर आक्रमण किया तथा दलेल गढ़ घेर लिया। लक्ष्मणसिंह को गढ़ खाली करके भागना पड़ा। संभवतः इसके बाद नवलगढ़ का दुर्ग पुनः नवलगढ़ के ठिकाणेदार उदयसिंह के ही अधीन हो गया।

दांतारामगढ़ दुर्ग

ई.1755 में जोधपुर नरेश रामसिंह की विमाता, जीणमाता के दर्शन करने के लिये सीकर ठिकाणे में आई, तब ठाकुर गुमानसिंह ने उसे लूट लिया। ठाकुर को दण्ड देने के लिये जयपुर की सेना ने दांतारामगढ़ दुर्ग पर आक्रमण किया।

लालगढ़ दुर्ग एवं महल

लालगढ़ दुर्ग-महल में लगभग 100 आवासीय कक्ष बने हुए हैं जो रियासती काल में राजपरिवार एवं उनके अनुचरों के निवास स्थल हुआ करते थे। इस महल में एक समृद्ध पुस्तकालय भी है। इसमें कई मूल दस्तावेज एवं दुर्लभ ग्रंथ संजोये गये हैं।

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