Thursday, November 21, 2024
spot_img
Home मेवाड़ राजसमन्द जिला

राजसमन्द जिला

राजसमन्द जिला मेवाड़ सांस्कृतिक क्षेत्र में स्थित है। जिला मुख्यालय राजसमन्द का नामकरण यहाँ स्थित एक झील के नाम पर किया गया है। यह झील महाराणा राजसमंद (प्रथम) ने अपनी प्रजा को अकाल से मुक्ति दिलवाने के लिए बनवाई थी। झील के किनारों पर पत्थरों पर उत्कीर्ण एक प्रशस्ति लगी है जिसमें मेवाड़ का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है। इसे राजसमन्द प्रशस्ति भी कहा जाता है। राजसमन्द जिला संगमरमर पत्थर की खानों के लिए प्रसिद्ध है। नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर, कांकरोली का मंदिर तथा चारभुजानाथ का गढ़बोर मंदिर भी राजसमन्द जिले में हैं। ये तीनों ही मंदिर विश्वप्रसिद्ध हैं।

- Advertisement -

Latest articles

टहला दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

टहला दुर्ग

0
सम्पूर्ण दुर्ग प्राचीर से घिरा हुआ है जिसमें आठ बुर्जियां बनी हुई हैं। टहला दुर्ग तक पहुंचने के लिये काले पत्थरों का खुर्रा बना हुआ है।
लक्ष्मणगढ़ दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

लक्ष्मणगढ़ दुर्ग

0
लक्ष्मणगढ़ दुर्ग पूरी दुनिया में वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है क्योंकि यह संरचना विशाल चट्टानों के बिखरे हुए टुकड़ों पर बनी है।
खाचरियावास दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

खाचरियावास दुर्ग

0
ठाकुर विजयसिंह ने दुर्ग के चारों ओर बुर्जों का तथा दुर्ग के भीतर महलों का निर्माण करवाया। उसने चारों कोनों पर चार बुर्ज बनवाईं जहाँ से तोपें चलाई जाती थीं।
फतहपुर दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

फतहपुर दुर्ग

0
फतेहपुर दुर्ग ई.1453 में नवाब फतेह खाँ ने बनवाया। उसने किले का अंतःभाग तथा प्राचीर का ही निर्माण करवाया।
कुचामन दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

कुचामन दुर्ग

0
कुचामन और उसके निकटवर्ती क्षेत्र यथा हिराणी, मीठड़ी, लिचाणा आदि से गौड़ शासकों के शिलालेख प्राप्त होते हैं।
// disable viewing page source