Monday, March 31, 2025
spot_img
Home मारवाड़

मारवाड़

मारवाड़ सांस्कृतिक क्षेत्र रेगिस्तान के पूर्वी किनारे की तरफ स्थित है। संस्कृत ग्रंथों में मरुस्थल को मरुवार कहा गया है जिसका अर्थ है मृत्यु का स्थल। राजस्थान बनने से पहले यह क्षेत्र जोधपुर रियासत के अधीन था जिसका प्राचीन नाम मारवाड़ रियासत था। इस रियासत की स्थापना राठौड़ों ने की थी। मालानी के राजकुमार राव चूण्डा ने मण्डोर पर अधिकार करके इस राज्य की स्थापना की। बाद में उसके वंशज जोधा ने ई.1459 में जोधपुर बसाया।

जोधपुर राज्य के राजस्थान में विलीनीकरण के बाद इसमें से जोधपुर, पाली, जालोर, नागौर तथा बाड़मेर जिलों का निर्माण किया गया था। वर्तमान में मारवाड़ सांस्कृतिक क्षेत्र के जिलों की स्थिति इस प्रकार है-

जोधपुर संभाग: जोधपुर संभाग में जोधपुर राज्य में से बनाए गए जोधपुर, पाली, जालौर फलौदी, बालोतरा तथा बाड़मेर जिले रखे गए हैं।

अजमेर संभाग: जोधपुर राज्य में से बनाए गए नागौर तथा डीडवाना-कुचामन जिले अजमेर संभाग में रखे गए हैं।

आजादी से पहले जैसलमेर एक अलग रियासत थी। आजादी के बाद जैसलमेर को अलग जिला बनाया गया तथा उसे जोधपुर संभाग में रखा गया।

आजादी से पहले सिरोही एक अलग रियासत थी, आजादी के बाद सिरोही जिले का गठन किया गया तथा इसे जोधपुर संभाग के अंतर्गत रखा गया है।

- Advertisement -

Latest articles

रघुनाथगढ़ दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

रघुनाथगढ़ तथा मानपुर दुर्ग

0
रघुनाथगढ़ के पुराने दुर्ग से ईस्वी 1093 का एक शिलालेख मिला है। रेवासा से भी चंदेलों के ई.1186 के तीन अभिलेख मिले हैं।
बड़ी सादड़ी के राजराणा - www.bharatkaitihas.com

बड़ी सादड़ी के राजराणा

0
बड़ी सादड़ी के राजराणा मेवाड़ के 16 प्रमुख रजवाड़ों में स्थान रखते थे। बड़ी सादड़ी दुर्ग मेवाड़ राज्य के प्रमुख दुर्गों में से था।...
महाराणा प्रताप के साथी - www.rajasthanhistory.com

महाराणा प्रताप के साथी

0
आज संसार में जिस श्रद्धा एवं विश्वास के साथ महाराणा प्रताप (ई.1540-ई.1597) का स्मरण किया जाता है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि जिस...
राठौड़ों के दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

राठौड़ों के दुर्ग

0
राठौड़ों का शासन थार मरुस्थल में रहा इस कारण राठौड़ों के दुर्ग पश्चिमी राजस्थान में अधिक संख्या में मिलते हैं। मेवाड़ एवं आम्बेर आदि...
डिग्गी दुर्ग - www.rajasthanhistory.com

डिग्गी दुर्ग

0
जयपुर से 80 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित डिग्गी दुर्ग जयपुर के कच्छवाहा शासक वंश में उत्पन्न राव खंगार के पुत्र भाखरसी के वंशजों ने...
// disable viewing page source