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खण्डेला दुर्ग
मुगल बादशाह अकबर के समय खण्डेला पर निर्वाण राजपूत शासन करते थे। वे लम्बे समय से यहाँ शासन करते आ रहे थे।
सूरतगढ़ दुर्ग
सूरतगढ़ दुर्ग के लिए अधिकतर ईंटें रंगमहल से लाई गई थीं। रंगमहल भी यौधेयों का प्राचीन एवं महत्वपूर्ण स्थल था
अनूपगढ़ दुर्ग
ई.1678 में जोहियों द्वारा निर्मित पुराने दुर्ग के स्थान पर एक नया दुर्ग बनवाया गया जिसका नाम बीकानेर नरेश अनूपसिंह के नाम पर अनूपगढ़ दुर्ग रखा गया।
इंदौर दुर्ग – टपूकड़ा दुर्ग
निकुंभ क्षत्रियों द्वारा बनवाये जाने के बाद इंदौर दुर्ग तब तक हिन्दुओं के अधिकार में रहा जब तक कि दिल्ली पर मुसलमानों की सत्ता स्थापित नहीं हो गई।
अलवर दुर्ग
प्रतापसिंह ने उसकी बात मान ली तथा अलवर दुर्ग पर अधिकार कर लिया। 25 दिसम्बर 1775 को प्रतापसिंह ने दुर्ग में प्रवेश किया।
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