रूपनगढ़ दुर्ग की प्राचीर में नौ बुर्ज बनी हुई हैं। दुर्ग के भीतर राजसी महल, शस्त्रागार, बारूदखाना भूमिगत गलियारे, जेल तथा अन्य निर्माण देखे जा सकते हैं।
नवलगढ़ एवं मंडावा के ठाकुरों ने उदयसिंह के नेतृत्व में पिलानी पर आक्रमण किया तथा दलेल गढ़ घेर लिया। लक्ष्मणसिंह को गढ़ खाली करके भागना पड़ा। संभवतः इसके बाद नवलगढ़ का दुर्ग पुनः नवलगढ़ के ठिकाणेदार उदयसिंह के ही अधीन हो गया।